न्यायिक सेवा परीक्षा की मांग

कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद का यह कहना कि सिविल सेवा के लिए आइएएस और पुलिस के लिए आइपीएस हो सकता है, तो फिर न्यायिक सेवा हेतु अखिल भारतीय न्यायिक सेवा परीक्षा का प्रावधान क्यों नहीं हो सकता? मांग जायज है और वर्षों से लंबित भी है. इसकी सिफारिश सबसे पहले 1958 में गठित 14वें विधि […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 16, 2019 6:39 AM

कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद का यह कहना कि सिविल सेवा के लिए आइएएस और पुलिस के लिए आइपीएस हो सकता है, तो फिर न्यायिक सेवा हेतु अखिल भारतीय न्यायिक सेवा परीक्षा का प्रावधान क्यों नहीं हो सकता? मांग जायज है और वर्षों से लंबित भी है.

इसकी सिफारिश सबसे पहले 1958 में गठित 14वें विधि आयोग ने की थी, मगर अमली जामा नहीं पहनाया जा सका. इसके लिए सरकारों से ज्यादा जिम्मेदार हाइकोर्ट एवं सुप्रीम कोर्ट हैं. कोई भी अपना अधिकार नहीं खोना चाहता. अगर परीक्षा के तहत नियुक्ति होगी, तो जिला जज से ऊपर के श्रेणियों में बहाली में भाई-भतीजावाद खत्म हो जायेगा. हां, कुछ और सुधारों की जरूरत है. रिटायरमेंट के बाद किसी को भी कोई सरकारी पद नहीं दिया जाना चाहिए. इससे न्यायिक भ्रष्टाचार पर कुछ अंकुश लगेगा.

जंग बहादुर सिंह, जमशेदपुर, झारखंड

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