डॉक्टर से झूठ नहीं

मामूली लगनेवाली बातों का ध्यान रखकर हम गंभीर मुश्किलों में पड़ने से बच सकते हैं. इस सच को जानने के बावजूद कई लोग डॉक्टर की सलाह के बिना दवाई ले लेते हैं. कई लोग ऐसे भी होते हैं, जो डॉक्टर की हिदायत को नजरअंदाज कर ठीक से दवाई नहीं लेते और खान-पान में परहेज नहीं […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 20, 2019 5:36 AM
मामूली लगनेवाली बातों का ध्यान रखकर हम गंभीर मुश्किलों में पड़ने से बच सकते हैं. इस सच को जानने के बावजूद कई लोग डॉक्टर की सलाह के बिना दवाई ले लेते हैं. कई लोग ऐसे भी होते हैं, जो डॉक्टर की हिदायत को नजरअंदाज कर ठीक से दवाई नहीं लेते और खान-पान में परहेज नहीं करते.
इतना ही नहीं, फिर अस्पताल जाने पर वे झूठ भी बोल देते हैं कि वे तो ठीक से सलाह पर अमल कर रहे थे. इस तरह के झूठ बोलने और जरूरी जानकारियां छुपाने से न सिर्फ इलाज में दिक्कत आती है, बल्कि ऐसा करना खतरनाक भी हो सकता है. रोगी में सुधार नहीं होता देख अधिक मात्रा में दवा देने के अलावा कोई दूसरा विकल्प डॉक्टर के पास नहीं होगा और इससे रोगी को ही नुकसान होगा.
जांच करने और दवा देने से पहले डॉक्टर या अन्य स्वास्थ्यकर्मी कुछ सामान्य सूचनाएं लेते हैं, जैसे- उम्र, पहले की कोई बीमारी या ऑपरेशन, किसी अन्य तरह की दवाई लेने, खान-पान की आदतें, नशा, धूम्रपान, एलर्जी, शारीरिक संबंध आदि. इन्हीं बातों के आधार पर आगे के इलाज की रूप-रेखा बनती है. अगर गलत जानकारी दी गयी, तो संभव है कि उसके मुताबिक दी गयी सलाह या किया गया इलाज रोग को बढ़ा दे या कोई दूसरी बीमारी की वजह बन जाये.
मान लें कि आप अधिक धूम्रपान करते हैं या शराब, तंबाकू, गुटखे या किसी नशीले पदार्थ का सेवन करते हैं, लेकिन इलाज के समय आपने इस बारे में नहीं बताया या ठीक से नहीं बताया, तो आपको दी गयी दवा बेकार हो सकती है. तंबाकू में पाया जानेवाला निकोटिन ऑपरेशन का घाव सूखने में बाधा पैदा करता है.
कई सर्जन इसकी लत के शिकार लोगों के इलाज में कुछ खास तरह की सर्जरी नहीं करते हैं या कुछ ऑपरेशन से कतराते हैं. अल्कोहल या अन्य तरह का नशा करनेवालों पर बेहोश करनेवाली दवाओं का असर नहीं होता या कम होता है. अगर मरीज की आदतों का पता नहीं होगा, तो इलाज के गलत होने की आशंका बढ़ जायेगी. ऐसा होने पर रोगी के परिजन डॉक्टर पर ही दोष मढ़ेंगे. परिजनों और चिकित्सकों के बीच गलतफहमी झगड़े का कारण भी बन सकती है.
अलग-अलग वजहों से मारपीट होने की कई घटनाएं बीते कुछ समय में ही हो चुकी हैं. खराब उपचार या लापरवाही के आरोप में डॉक्टरों को अदालतों का चक्कर भी काटना पड़ता है. कहने का मतलब यह कतई नहीं है कि हर झगड़े या मुकदमे के पीछे मरीज का जानकारियां छुपाना ही कारण है, लेकिन ऐसी किसी स्थिति के लिए एक और कारण पैदा करने से बचा जाना चाहिए.
मौजूदा दौर में अनेक मानसिक और शारीरिक समस्याओं का संबंध रहन-सहन, सामाजिक परिवेश और कामकाजी स्थितियों से है, सो इनसे जुड़ी बातें भी साझा करना जरूरी है. जानकारी छुपाने से बीमा या मुआवजा हासिल करना भी दूभर हो सकता है. हम चिकित्सक के पास बेहतर स्वास्थ्य की आशा में जाते हैं, इसलिए उसके सामने हमें ईमानदार रहना चाहिए.

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