आखिरकार न्याय हुआ

साल 2012 में 16 दिसंबर की वह काली रात, जिसने सुबह के सूर्य को भी अपने चेहरे को बादलों की ओट में छिपाने को मजबूर कर दिया. मानवता शर्मसार हो गयी. सारी कायनात मानव रूप में दरिंदों के जघन्यतम कुकृत्य से स्तब्ध हो गयी. ऐसे में चारों अपराधियों की फांसी की खबर इस बात को […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 9, 2020 3:57 AM
साल 2012 में 16 दिसंबर की वह काली रात, जिसने सुबह के सूर्य को भी अपने चेहरे को बादलों की ओट में छिपाने को मजबूर कर दिया. मानवता शर्मसार हो गयी.
सारी कायनात मानव रूप में दरिंदों के जघन्यतम कुकृत्य से स्तब्ध हो गयी. ऐसे में चारों अपराधियों की फांसी की खबर इस बात को सच साबित कर गयी कि भगवान के घर देर है, अंधेर नहीं. न्यायालय की प्रासंगिकता बरकरार हो गयी. निर्भया कांड के दोषियों को मौत की सजा अपराधियों में खौफ तो पैदा कर ही गया, साथ ही देश को जागरूक भी कर गया.
अब न्यायालयों, सरकार और जनता को ऐसी व्यवस्था कायम करनी होगी कि किसी निर्भया को फिर से न्याय की गुहार ही न लगानी पड़े, बल्कि न्याय हो. परिवार में लड़कों एवं लड़कियों को एक-दूसरे का सम्मान करना सीखना होगा. जस्टिस डिलेड बट नेशन अहेड, यह कथन आज सिद्ध होता दिख रहा है.
देवेश कुमार देव, गिरिडीह, झारखंड

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