इंटरनेट अब दिनचर्या बन चुका है

पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट को लेकर अहम फैसला दिया. यह फैसला इंटरनेट पर लगे प्रतिबंध के 158 दिन बाद आया, लेकिन घाटी के लोगों के लिए नेट सेवा कब बहाल होगी, इसकी कोई तारीख निश्चित नहीं की गयी है. एक सप्ताह में समीक्षा करके लोगों को प्रतिबंध की वजहें बताने को […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 13, 2020 6:14 AM
पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट को लेकर अहम फैसला दिया. यह फैसला इंटरनेट पर लगे प्रतिबंध के 158 दिन बाद आया, लेकिन घाटी के लोगों के लिए नेट सेवा कब बहाल होगी, इसकी कोई तारीख निश्चित नहीं की गयी है.
एक सप्ताह में समीक्षा करके लोगों को प्रतिबंध की वजहें बताने को कहा गया. मेरे खयाल में समीक्षा का यह समय महीनों का हो सकता है. इस प्रतिबंध की वजह साफ है कि देश की एकता और सुरक्षा को खतरा माना गया था.
भले ही शीर्ष अदालत ने इसे अभिव्यक्ति की आजादी वाले अधिकार के साथ जोड़ा हो, मगर वह आजादी भी असीमित नहीं है. इंटरनेट अब दिनचर्या बन चुका है. यह केवल मनोरंजन एवं सोशल मीडिया तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके जरिये शिक्षा का प्रसार, मेडिकल सेवा, व्यापार में सुगमता, बैंकिंग सेवा में सहूलियत आदि होने लगी है.
हमारे फोन और लैपटॉप में अगर पांच मिनट के लिए नेट कट जाता है, तो हमसे बर्दाश्त नहीं होता. घाटी के लोग पिछले पांच महीने से बिना इंटरनेट के रह रहे हैं. कल्पना करके भी डर लगने लगता है.
जंग बहादुर सिंह, जमशेदपुर, झारखंड

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