रेलवे की बेहतरी
भारतीय रेल आकार के हिसाब से दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है. इसकी 67 हजार किलोमीटर से अधिक लंबी पटरियां हमारी अर्थव्यवस्था के प्रमुख आधारों में से एक है. लगातार विकास के बावजूद इन्फ्रास्ट्रक्चर की गुणवत्ता, ट्रेनों की गति और सुविधाओं के लिहाज से अन्य बड़े नेटवर्कों की तुलना में भारतीय रेल की […]
भारतीय रेल आकार के हिसाब से दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है. इसकी 67 हजार किलोमीटर से अधिक लंबी पटरियां हमारी अर्थव्यवस्था के प्रमुख आधारों में से एक है.
लगातार विकास के बावजूद इन्फ्रास्ट्रक्चर की गुणवत्ता, ट्रेनों की गति और सुविधाओं के लिहाज से अन्य बड़े नेटवर्कों की तुलना में भारतीय रेल की स्थिति पिछड़ेपन की शिकार है. सरकार ने 2023 तक रेलवे का पूरी तरह से विद्युतीकरण करने तथा 2030 तक इसके उत्सर्जन को शून्य के स्तर तक लाने का लक्ष्य निर्धारित किया है, ताकि ऊर्जा की बचत हो सके और पर्यावरण का संरक्षण किया जा सके.
इसके अलावा सुरक्षा व संरक्षा को भी प्राथमिकता दी जा रही है. गाड़ियों की गति को बढ़ाना भी बड़ी चुनौती है. इन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए व्यापक निवेश की आवश्यकता है. रेल मंत्री पीयूष गोयल के अनुसार, नेटवर्क के आधुनिकीकरण के लिए सरकार अागामी 12 सालों में 50 लाख करोड़ के निवेश को आकर्षित करना चाह रही है. जाहिर है, इतनी बड़ी धनराशि बजट के जरिये आवंटित नहीं की जा सकती है. ऐसे में मंत्रालय निजी क्षेत्र की सहभागिता के लिए प्रयासरत है.
यदि पहले से ही समुचित निवेश पर ध्यान दिया जाता, तो आज यह स्थिति नहीं होती. बीते दिनों निजी क्षेत्र के सहयोग से यात्री गाड़ियां चलाने और सुविधाएं देने की कोशिशों तथा बड़े निवेश की संभावनाओं को देखते हुए विभिन्न संगठनों द्वारा यह आशंका जतायी जा रही है कि सरकार रेल नेटवर्क के निजीकरण की ओर अग्रसर है. रेल मंत्री ने इन आशंकाओं को सिरे से खारिज करते हुए कहा है कि भारतीय रेल देश और देशवासियों की संपत्ति है तथा इसका संचालन सरकार ही करती रहेगी.
कुछ महीने पहले भी गोयल ने स्पष्ट किया था किसी भी तरह के निजीकरण का कोई भी प्रस्ताव सरकार के पास विचाराधीन नहीं है. हमारी रेल सालभर में आठ अरब से अधिक यात्रियों को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाती है तथा एक अरब टन से अधिक माल की ढुलाई करती है. भारतीय रेल देश में सबसे अधिक रोजगार देनेवाली संस्था भी है और इस मामले में वह दुनिया की शीर्ष दस संस्थाओं में शामिल है. ऐसे में निजीकरण की आशंकाओं का पैदा होना स्वाभाविक है.
ऐसी आशंकाओं को दूर करने के लिए सरकार को रेल कर्मचारियों और देश के लोगों से लगातार संवाद में रहना चाहिए. इसके साथ यह पहलू भी स्पष्ट किया जाना चाहिए कि यदि भारतीय रेल को वर्तमान व भविष्य की आवश्यकताओं के अनुरूप आधुनिक बनाना है तथा इसे विश्वस्तरीय संसाधनों व सुविधाओं से लैस करना है, तो समुचित निवेश की व्यवस्था भी करनी पड़ेगी.
इसके लिए निजी क्षेत्र के साथ मिलकर काम करने के अलावा कोई विकल्प भी नहीं है. सुरक्षा और सुविधा से ही यात्रियों तथा ग्राहकों के भरोसे को जीता जा सकता है. रेल को बेहतर बनाने के लिए अनेक समितियों के सुझावों में से विशेष बिंदुओं को चुना जा सकता है तथा निगमीकरण के अनुभवों से सीख ली जा सकती है.