नेताओं में एबीसीडीई का गुण!

डॉ सुरेश कुमार मिश्रा व्यंग्यकार jaijaihindi@gmail.com बहुत साल पहले ‘नेताजी’ शब्द का बड़ा महत्व था. कहीं नेताजी का अर्थ आप सुभाष चंद्र बोस से लगा रहे हैं, तो मुझे क्षमा कीजिये. मैं उनकी बात नहीं कर रहा हूं. मैं आज के नेताजी की बात कर रहा हूं. एक समय था जब ‘नेताजी’ का अर्थ सत्य, […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 17, 2020 7:24 AM
डॉ सुरेश कुमार मिश्रा
व्यंग्यकार
jaijaihindi@gmail.com
बहुत साल पहले ‘नेताजी’ शब्द का बड़ा महत्व था. कहीं नेताजी का अर्थ आप सुभाष चंद्र बोस से लगा रहे हैं, तो मुझे क्षमा कीजिये. मैं उनकी बात नहीं कर रहा हूं. मैं आज के नेताजी की बात कर रहा हूं. एक समय था जब ‘नेताजी’ का अर्थ सत्य, अहिंसा, धर्म और न्याय शब्द का पर्याय हुआ करता था. किंतु आज इसके विपरीत काम करनेवाला ही नेताजी कहलाता है.
आज के समय का लोकप्रिय नेता वही है, जो आये दिन संविधान की धज्जियां उड़ाकर लोगों को धर्म-जात, ऊंच-नीच और भेदभावों के नाम पर लड़ाने की कला जानता हो. जो नेता यह कला नहीं जानता, वह जल्दी ही काल के गर्भ में समा जाता है.
ऐसे नेताओं को डिस्कवरी चैनल भी ढूंढने में विफल हो जाता है. आजकल ‘जिसकी लाठी उसकी भैंस’ जैसी शक्तिवाले कीचक नेताओं का ही बोलबाला है. आज टीवी चैनलों में चौबीस घंटे मंदिर-मस्जिद, हिंदू-मुस्लिम खेलनेवाले आज अग्रणी नेता कहलाते हैं. हाथ जोड़नेवाले नेता लुप्त हो रहे हैं और हाथ उठानेवाले नेताओं का बोलबाला बढ़ रहा है. चोरी, अत्याचार, बलात्कार, झूठ तो इनके आभूषण हैं.
नेताओं ने देश के बड़े मुद्दों को राम, कृष्ण, अल्लाह और ईसा मसीह के नाम पर ऐसा उलझा दिया है कि आम जनता उसी में अस्त-व्यस्त रहती है. अशिक्षित नेता भी बड़े-बड़े विद्वानों को ज्ञान बांटते फिरते हैं. हमारे नेताओं से यदि बेरोजगारी, कृषि, अर्थव्यवस्था, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसे विषयों के बारे में पूछिए, तो उसके प्रत्युत्तर में वे आपको मंदिर-मस्जिद, जात-पात, ऊंच-नीच के दलदल में उलझा देते हैं.
नेताजी गरीबों की भलाई करने से पहले विपक्ष की धुलाई करने में विश्वास रखते हैं. अब नेताओं ने शासन करने का नया ढंग अपनाया है.मीडिया को ललचाकर या फिर धमकाकर अपनी हां में हां मिलाने पर मजबूर कर दिया है.
बातूनी नेता लोगों को अपनी मुट्ठी में कर लेते हैं. उनमें चमत्कार का गुण होता है. यह चमत्कार उन्हें झूठ की कला से आता है. सामान्यत: लोग झूठ बोलने से कतराते हैं, लेकिन इनमें नेतागण नहीं आते. अगर झूठ पकड़ा गया, तो ऐसे-ऐसे बहाने सुनने को मिलते हैं कि सामान्य व्यक्ति आश्चर्य से आंखें फाड़ ले. अपने स्वार्थ के लिए दूसरे के सत्य को झूठ में बदल देने में भी हमारे नेता माहिर होते हैं.
नेताओं को भाषण-कला की एबीसीडीई जरूर आनी चाहिए. ए फॉर एक्शन और एरिया. यानी आपके पास एक्शन प्लान है कि नहीं, एरिया की समस्या और समाधान है कि नहीं. बी यानी बोल्डनेस, यह आपके आत्मविश्वास का पैमाना है, मंच पर बोलते वक्त आत्मविश्वास से लबालब होना चाहिए. सी यानी क्रिएटिवटी- जुमले, शायरी, कविताएं, जोक, प्रेरणादायक किस्से आदि आपके दिमाग में होने चाहिए. डी फॉर डेटा, आंकड़ों के आधार पर कहने से बात का वजन बढ़ता है. ई का संबंध एनर्जी से है. आप कितने भी अच्छे वक्ता क्यों न हों, किंतु आपकी एनर्जी में कमी होगी, तो सब धरा रह जायेगा.

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