प्रेम संवाद, नयी उपमाओं के साथ-4
।। सत्य प्रकाश चौधरी ।। प्रभात खबर, रांची आज संसद की कार्यवाही देखने के बाद तुम्हें चिट्ठी लिखने बैठ गया हूं. राहुल गांधी से कुछ तो सीखो. जिस तरह वह संसद के सूखे कुएं (वेल) में कूद पड़े, अगर कुछ ऐसा ही तुमने किया होता, तो तुम्हारे पिताजी अब तक हमारी शादी के लिए हां […]
।। सत्य प्रकाश चौधरी ।।
प्रभात खबर, रांची
आज संसद की कार्यवाही देखने के बाद तुम्हें चिट्ठी लिखने बैठ गया हूं. राहुल गांधी से कुछ तो सीखो. जिस तरह वह संसद के सूखे कुएं (वेल) में कूद पड़े, अगर कुछ ऐसा ही तुमने किया होता, तो तुम्हारे पिताजी अब तक हमारी शादी के लिए हां जरूर कर चुके होते. दो दिन पहले मैंने तुम्हारे पिता जी से बात की, लेकिन वह मोदी जी के हसीन सपनों में खोये लगे.
बोले-‘‘हमें ऐसे लड़का चाहिए जो ‘स्मार्ट सिटी’ में रहता हो, जिसके घर के पास वाइ-फाइ जोन हो.. तुम्हारे शहर में अपनी लड़की नहीं ब्याहनी, जहां आधी सड़क घेर कर फूलगोभी बिकती है.’’ उनकी बातों से मेरे दिल को गहरी चोट लगी है, जैसे नटवर सिंह की किताब से सोनिया गांधी के दिल को लगी है. तुम्हारे पिता जी ने मेरी बड़ी बेइज्जती की. ‘पीके’ वह बैठे थे और कपड़े मेरे उतर गये. अपने पिताजी से कहो कि वह भी आडवाणी जी की तरह अपने दिल को समझा लें कि किसी को अपने मुकद्दर से ज्यादा नहीं मिलता. और किस्मत अच्छी हो, तो चायवाला भी प्रधानमंत्री बन सकता है.
जो हो, तुम्हारी यादों ने मुङो सूखाग्रस्त क्षेत्र के किसानों की तरह बेचैन कर रखा है. जल्दी से मेरे दिल को सूखाग्रस्त घोषित करके उसके लिए कुछ राहत का इंतजाम करो. कहते हैं न, का वर्षा जब कृषि सुखानी. इसी तर्ज पर, का शादी जब उम्र बीत जानी.
तुम तो शादी के लिए ऐसे बेचैन हो जैसे कांग्रेसी विपक्ष के नेता पद के लिए हैं. राहुल गांधी को जहां कूदना हों, कूदें. मैं क्यों कूदूं? भूल गये, कॉलेज के दिनों में ‘बंटी और बबली’ देखने के बाद तुम मुङो रानी मुखर्जी कहने लगे थे. अब तो रानी भी ‘मर्दानी’ बन गयी है और तुम मुङो राहुल से सीखने की सलाह दे रहे हो.
और हां, पिताजी ने तुम्हारी ऐसी क्या बेइज्जती कर दी? उन्होंने तुम्हारे शहर के बारे में दो बातें क्या कह दीं, तुम्हें बुरा लग गया. वैसे उन्होंने कुछ गलत नहीं कहा. पिछली बार जब मैं तुमसे चुपचाप मिलने आयी थी, तो आधा दिन इसलिए खराब हो गया था, क्योंकि चिड़ियाघर तक पहुंचते-पहुंचते मैं चार जगह जाम में फंसी थी. खैर ये सब जाने दो, गनीमत यह रही कि उन्हें यह नहीं मालूम था कि तुम एक पाव टमाटर खरीद कर महीने भर काम चला रहे हो. नहीं तो तुम उनकी नजरों से वैसे ही गिर जाते जैसे आम जनता की नजरों से ‘अच्छे दिन’ गिर रहे हैं.
और यार, ये बात-बात पर दिल पर चोट लगने की बात न किया करो. अपना दिल मजबूत और चमड़ी मोटी बनाओ, जैसे पूरी दुनिया ने बना लिया है, गाजा पट्टी में रोज दर्जनों औरतों-बच्चों को गोलियों-बमों से मरते देख कर. और हां, उम्मीद बनाये रखो. भई, जब लालू और नीतीश को उम्मीद है कि उनकी दोस्ती से चुनाव में बेड़ा पार हो जायेगा, तो हम ये उम्मीद क्यों नहीं रख सकते कि एक दिन हमारी शादी भी हो जायेगी!