बेहतर होते संबंध
भारत और ब्राजील ने 2022 तक द्विपक्षीय व्यापार को 15 अरब डॉलर करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है. इससे अनेक अंतरराष्ट्रीय और घरेलू कारणों से सुस्ती का सामना कर रहे दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं की गति तेज करने में बड़ी मदद मिलेगी. वर्ष 2018-19 में यह कारोबार 8.2 अरब डॉलर रहा था, जिसमें भारत […]
भारत और ब्राजील ने 2022 तक द्विपक्षीय व्यापार को 15 अरब डॉलर करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है. इससे अनेक अंतरराष्ट्रीय और घरेलू कारणों से सुस्ती का सामना कर रहे दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं की गति तेज करने में बड़ी मदद मिलेगी.
वर्ष 2018-19 में यह कारोबार 8.2 अरब डॉलर रहा था, जिसमें भारत ने 3.8 अरब डॉलर का निर्यात तथा 4.4 अरब डॉलर का आयात किया था. दोनों देश ब्रिक्स, समूह-20, अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन समेत अनेक बहुपक्षीय मंचों के भी सदस्य हैं.
राष्ट्रपति जायर बोलसोनारो की भारत यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ चर्चा में अन्य अहम मुद्दों व क्षेत्रों के साथ कृषि एवं संबंधित गतिविधियों में व्यापक सहयोग की संभावना को भी रेखांकित किया है. माना जा रहा है कि दोनों देश विश्व व्यापार संगठन के नियमों का कथित रूप से उल्लंघन करते हुए भारतीय गन्ना किसानों को मिल रही सरकारी मदद के विवाद को आपसी बातचीत से सुलझाने पर सहमत हो गये हैं.
इससे परस्पर भरोसे में बढ़ोतरी होगी. दोनों देशों के साथ पर्यवेक्षकों की भी यह राय रही है कि दक्षिण अमेरिका के सबसे बड़े देश ब्राजील और दक्षिण एशिया के सबसे बड़े देश भारत के बीच द्विपक्षीय संबंधों को विस्तार देने की असीम संभावनाएं हैं, पर किन्हीं कारणों से अभी तक अपेक्षित सफलता नहीं मिल सकी है. हालांकि, ऐतिहासिक व सांस्कृतिक स्तर पर दोनों देशों में पर्याप्त अंतर है तथा दोनों के बीच भौगोलिक दूरी भी बहुत है, किंतु दोनों ही देश मजबूत लोकतंत्र हैं और इनकी गिनती वैश्विक पटल पर तेजी से उभर रही अर्थव्यवस्थाओं में होती है.
दोनों देशों का आपसी कारोबार जहां आठ अरब डॉलर से कुछ ही ज्यादा है, वहीं चीन के साथ ब्राजील का व्यापार सौ अरब डॉलर से ऊपर हो चुका है, जो 2004 में केवल चार अरब डॉलर था. तब भारत और ब्राजील का आपसी लेन-देन डेढ़ अरब डॉलर था. चीन के साथ भारत का व्यापार भी 90 अरब डॉलर के आसपास है. यानी भारत और ब्राजील के पास आयात-निर्यात बढ़ाने की गुंजाइश बहुत है. दोनों देशों में मध्य आयवर्गीय उपभोक्ताओं की बड़ी संख्या है, जो अच्छे व उपयोगी उत्पादों के ग्राहक और आकांक्षी हैं.
एक-दूसरे के बाजार के अध्ययन के अनुसार उत्पादन में बढ़ोतरी कर रोजगार एवं मांग से जुड़ी समस्याओं का निराकरण करने में काफी मदद मिल सकती है. इसका एक पहलू यह भी है कि चीन न केवल दक्षिण एशिया या पड़ोस के अन्य हिस्सों में अपने वर्चस्व का विस्तार कर रहा है, बल्कि ब्राजील समेत दक्षिण अमेरिका में भी उसके प्रभाव में लगातार बढ़त हो रही है.
राजनीतिक तौर पर उस क्षेत्र में भारत का संबंध पुराना है. उसके आधार पर वाणिज्य-व्यापार बढ़ाने की कोशिश की जानी चाहिए. उस महादेश में हमारी कूटनीतिक सक्रियता का बढ़ना स्वागतयोग्य है. अमेरिका व चीन की रस्साकशी से इतर अपने हितों को आपसी सहयोग से पूरा कर पाने का अवसर भी भारत और ब्राजील के पास है.