अखबारों में एक स्तब्ध कर देनेवाला समाचार प्रकाशित हुआ है. समाचारों के अनुसार, भारतीय सेना के अभिन्न अंग सशत्र सीमा बल के हजारों सैनिक, जो भूटान और नेपाल की सीमा के 2,450 किमी के बर्फीले, खुले और विस्तृत सीमा पर चौबीसों घंटे वर्षा व भारी हिमपात में भी मुस्तैदी से दुश्मनों से हमारी रखवाली करते हैं, उन्हें जनवरी और फरवरी 2020 का ‘चाइल्ड एजुकेशन भत्ता’ और ‘लीव ट्रैवल कंससेशन’ भी कथित फंड की कमी की वजह से रोक दिया गया है.
अफसोस की बात है कि सरकार के पास इन भत्तों को देने के लिए पैसे नहीं हैं. जवानों के साथ ऐसा अन्याय नहीं होना चाहिए. क्या सरकार का मन हमारे जवानों की जरूरतों की देखभाल की जिम्मेदारी नहीं है? ऐसा लगत है कि जनता के मूल मुद्दों को हल करने की इस सरकार की न इच्छा है और न इसके पास पैसा ही है!
निर्मल कुमार शर्मा, गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश