शाश्वत है गांधी का व्यक्तित्व
न शस्त्र इसे काट सकता है, न अग्नि इसे जला सकती है और न ही वायु सुखा सकता है, क्योंकि आत्मा अमर है. महात्मा गांधी एक ऐसी आत्मा है, जिसका भौतिक शरीर और उनकी वाणी भी अमरता की पर्याय है. शरीर पर एक धोती, आंखों में एक गोल फ्रेम का चश्मा, हाथ में एक लाठी […]
न शस्त्र इसे काट सकता है, न अग्नि इसे जला सकती है और न ही वायु सुखा सकता है, क्योंकि आत्मा अमर है. महात्मा गांधी एक ऐसी आत्मा है, जिसका भौतिक शरीर और उनकी वाणी भी अमरता की पर्याय है.
शरीर पर एक धोती, आंखों में एक गोल फ्रेम का चश्मा, हाथ में एक लाठी और चेहरे में आशा, विश्वास एवं जीवन-मरण के चक्र से परे एक अद्भुत दैवी चमक एक ऐसी ही शख्सीयत की छवि है, जो मन-मस्तिष्क पर शाश्वत रूप से युगों-युगों तक धूमिल नहीं होगी.
यूं ही हम गांधी को ‘बापू’ और ‘राष्ट्रपिता’ कहकर नहीं पुकारते. आज 30 जनवरी को हम इस गांधी के स्वर्गारोहण को शहीद दिवस के रूप में मनाते हैं. इस दिन को ‘महापरिनिर्वाण दिवस’ के रूप में मनाया जाना चाहिए, ताकि हम इस महापुरुष के जीवन को शाश्वत बना सकें.
देवेश कुमार ‘देव’, गिरिडीह, झारखंड