कोरोना का कहर

चीन में कोरोना वायरस से होनेवाला निमोनिया महामारी का रूप ले चुका है. आधिकारिक सूचना के अनुसार, मरनेवालों की संख्या 132 हो गयी है तथा लगभग छह हजार लोगों का उपचार चल रहा है. जानकारों ने आशंका जतायी है कि अगले दस दिनों में यह महामारी भयावह रूप ले सकती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 30, 2020 7:10 AM
चीन में कोरोना वायरस से होनेवाला निमोनिया महामारी का रूप ले चुका है. आधिकारिक सूचना के अनुसार, मरनेवालों की संख्या 132 हो गयी है तथा लगभग छह हजार लोगों का उपचार चल रहा है. जानकारों ने आशंका जतायी है कि अगले दस दिनों में यह महामारी भयावह रूप ले सकती है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसको आपातकालीन स्थिति घोषित कर दिया है. भारत समेत दुनिया के कम-से-कम 19 देशों में संदिग्ध पीड़ित मानकर कई रोगियों का उपचार चल रहा है. चीन से बाहर 80 से अधिक लोगों के कोरोना वायरस से ग्रस्त होने की पुष्टि हो चुकी है. भारत सरकार की ओर से आयुर्वेदिक, यूनानी व होम्योपैथिक दवाओं और सावधानी बरतने की सलाह दी गयी है. चीन जाने को लेकर भी लगातार चेतावनी जारी की जा रही है तथा वहां से आनेवाले लोगों की निगरानी भी हो रही है.
एक तरफ महामारी के प्रसार की चिंता है, तो दूसरी ओर अस्थिरता से गुजर रही वैश्विक अर्थव्यवस्था के नुकसान की आशंका भी है. हमारे देश में बीते दस दिनों में शेयर सूचकांक में दो फीसदी की गिरावट दर्ज की गयी है. अंतरराष्ट्रीय निवेशक विभिन्न बाजारों से अपने पैसे निकालकर सुरक्षित जगहों में डाल रहे हैं. दुनिया के 23 विकसित बाजारों में बड़े और मध्यम पूंजी निवेश के सूचकांक में भी दस दिनों में सवा फीसदी से अधिक की कमी आयी है.
अगर आगामी कुछ दिनों में चीन में रोग की रोकथाम के प्रयासों के सकारात्मक परिणाम नहीं आते हैं और अन्य देशों में पीड़ितों की संख्या में बढ़ोतरी होती है, बाजार में खलबली मच सकती हैं, क्योंकि चीन और हांगकांग आर्थिक व वित्तीय तौर पर बहुत महत्वपूर्ण हैं. यह बीमारी उत्पादन, उपभोग, आयात व निर्यात के साथ यातायात व पर्यटन को भी प्रभावित कर सकती है.
भारतीय अर्थव्यवस्था में सुस्ती के लिहाज से यह स्थिति परेशानी बढ़ा सकती है और बजट की संभावित घोषणाओं के असर को सीमित कर सकती है. चीन में इस महामारी से हुए नुकसान का सही आकलन कुछ दिनों के बाद ही सामने आ सकेगा तथा अन्य देशों में इसके प्रसार को लेकर अभी निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता है, लेकिन 20 जनवरी से डेढ़ ट्रिलियन डॉलर मूल्य के स्टॉक निकाले जा चुके हैं. इस संदर्भ में 2003 में सार्स, 2009 में स्वाइन फ्लू और 2016 में जिका जैसी महामारियों के प्रभाव से कुछ अनुमान लगाने की कोशिशें हो रही हैं. सार्स ने तो चीन समेत अनेक अर्थव्यवस्थाओं को बड़ा झटका दिया था.
अन्य महामारियों से भी वैश्विक आर्थिक विकास की गति धीमी हुई थी. भारत के लिए एक बड़ा चिंताजनक पहलू यह भी है कि स्वास्थ्य सेवा की उपलब्धता तथा बीमारियों को लेकर जागरूकता की कमी किसी भी महामारी को विकराल रूप दे सकती है. ऐसे में सरकार और चिकित्सकों के सुझावों पर ठीक से अमल को सुनिश्चित करना पहली प्राथमिकता होनी चाहिए. कोरोना वायरस से जुड़ी अफवाहों और अपुष्ट बातों का फैलाव रोकना भी बेहद जरूरी है.

Next Article

Exit mobile version