Advertisement
अस्पतालों की दुर्दशा
राज्य के कई ऐसे सरकारी अस्पताल हैं, जो बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं. सरकारी अस्पतालों को सभी जरूरी दवाई व सामान रखना चाहिए ताकि गरीब परिवारों को सही इलाज मिल सके. कुछ दिन पहले मोतिहारी के सदर अस्पताल में बदहाल स्थिति से जूझ रहे अस्पताल परिसर को जब एक चैनल ने दिखाया, तो जिलाधिकारी ने […]
राज्य के कई ऐसे सरकारी अस्पताल हैं, जो बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं. सरकारी अस्पतालों को सभी जरूरी दवाई व सामान रखना चाहिए ताकि गरीब परिवारों को सही इलाज मिल सके.
कुछ दिन पहले मोतिहारी के सदर अस्पताल में बदहाल स्थिति से जूझ रहे अस्पताल परिसर को जब एक चैनल ने दिखाया, तो जिलाधिकारी ने तुरंत कार्रवाई कर व्यवस्था को सुधारा. तो क्या इसका मतलब यह है कि ऐसी किसी समस्या को जब तक टेलीविजन तथा अखबार में जगह न मिले, तब तक वहां के पदाधिकारी सक्रिय नहीं होंगे? ऐसे में क्या अधिकारियों की जांच नहीं होनी चाहिए कि वे हाथ पर हाथ धरे क्यों बैठे रहते हैं?
मुख्यमंत्री से मेरा निवेदन है कि वे अधिकारियों को मुस्तैद रहने का निर्देश दें. आखिर ऐसा क्यों है कि बिहार के सभी विभागों की कार्यप्रणाली सुस्त है? जब तक शासन के शीर्ष स्तर से दबाव और निगरानी बढ़ाने के उपाय नहीं होंगे, अस्पताल जैसी जनता की बुनियादी जरूरत को ठीक से पूरा नहीं किया जा सकता है.
प्रियेश कुमार, मोतिहारी
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement