कारोबार में बढ़ेगी सुगमता

भूपेंद्र यादव सांसद राज्य सभा महासचिव, भाजपा delhi@prabhatkhabar.in वित्त वर्ष 2020-21 के बजट में किये गये कर संबंधी प्रावधानों से निश्चित रूप से कारोबार में सुगमता और पारदर्शिता को बढ़ावा मिलेगा, उपभोक्ता खर्च में वृद्धि होगी और कर संबंधी विवादों के निबटारे तथा निवेश में तेजी आयेगी. बजट में स्टार्टअप को राहत देने वाले भी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 3, 2020 7:13 AM
भूपेंद्र यादव
सांसद राज्य सभा
महासचिव, भाजपा
delhi@prabhatkhabar.in
वित्त वर्ष 2020-21 के बजट में किये गये कर संबंधी प्रावधानों से निश्चित रूप से कारोबार में सुगमता और पारदर्शिता को बढ़ावा मिलेगा, उपभोक्ता खर्च में वृद्धि होगी और कर संबंधी विवादों के निबटारे तथा निवेश में तेजी आयेगी. बजट में स्टार्टअप को राहत देने वाले भी कई अहम प्रावधान हैं.
बजट में निजी करदाताओं को महत्वपूर्ण राहत प्रदान करने और आयकर कानून को सरल बनाने के लिए एक नयी और सरल व्यक्तिगत आयकर व्यवस्था शुरू की गयी है. इसमें आयकर की दरों को व्यक्तिगत करदाताओं और वेतनभोगी वर्ग के लिहाज से सबसे कम दर पर तय किया जायेगा. जैसा कि वित्त मंत्री ने बजट भाषण में उल्लेख किया कि एक व्यक्ति एक वर्ष में यदि 15 लाख कमाता है और किसी भी कटौती का लाभ नहीं लेता है, तो पुराने नियम के अनुसार वह 2,73,000 की तुलना में अब 1,95,000 का ही भुगतान करेगा.
इसके अलावा करदाताओं को अपने अनुसार धनराशि को प्रबंधित करने के विकल्प और अपनी प्राथमिकताओं के अनुसार कम आयकर भुगतान का विकल्प मिलेगा. कुल मिला कर, इस कदम से सभी को लाभ होने की उम्मीद है. करदाताओं को कर संबंधी समस्याओं और उत्पीड़न से राहत दिलाने के लिए सरकार ने अभूतपूर्व कदम उठाते हुए करदाता चार्टर को कानूनी तौर पर प्रस्तुत किया है.
भारत दुनिया का चौथा ऐसा देश होगा, जिसने इस तरह का चार्टर अपनाया है. सरकार द्वारा उठा गया यह कदम ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को प्रोत्साहित करने तथा ईमानदार करदाताओं को सहूलियत का वातावरण मुहैया कराने की प्रतिबद्धता को दिखाता है. साथ ही एमएसएमई के लिए अनुपालन संबंधी लागत को कम कर कम नकद वाली अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगा. उन व्यवसायों के लिए, जो नकद व्यापार कुल टर्नओवर का पांच प्रतिशत से कम करते हैं, उनके लिए ऑडिट सीमा को एक करोड़ से बढ़ा कर पांच करोड़ कर दिया गया है.
यह कदम उन एमएसएमई को राहत देगा, जिनके व्यापार का टर्नओवर एक करोड़ से पांच करोड़ के बीच है. पारदर्शिता और जवाबदेही को अर्थतंत्र में बढ़ावा देने के लिए फेसलेस ई-असेसमेंट को सफलतापूर्वक लॉन्च कर चुकी सरकार अब फेसलेस अपील्स के प्रावधान लायेगी. यह सुनिश्चित करेगा कि असेसमेंट से लेकर अपील तक की पूरी प्रक्रिया में टेक्नोलॉजी के जरिये पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित हो.
विवादों का निबटारा करने हेतु सरकार ने ‘विवाद’ से ‘विश्वास’ योजना शुरू की है. यह ‘सबका विकास योजना’ के अनुरूप है. यह अप्रत्यक्ष कर से जुड़े मामलों को हल करेगा.
प्रस्तावित एमनेस्टी योजना करदाता को एक ऐसा अवसर प्रदान करेगा, जिससे वह संसाधनों का व्यवसाय में इस्तेमाल कर सकेगा और विभिन्न संस्थानों द्वारा किये किये मुकदमों से मुक्ति पा सकेगा. सरकार के डीडीटी हटाने से अब कॉरपोरेट जगत में प्रभावी कर की दर कम होगी और प्रतिस्पर्धा बढ़ाने में मददगार होगी. इससे निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा, क्योंकि पूर्व में लागू डीडीटी भुगतान प्रक्रिया बाहरी निवेशकों के देशों में लागू नहीं थी जिससे उन्हें डीडीटी क्रेडिट का नुकसान होता था.
यह घरेलू निवेशकों के लिए भी फायदेमंद होगा, क्योंकि उन पर अब डिविडेंड पर अपने स्लैब के अनुसार कर लगाया जायेगा. इससे छोटे खुदरा निवेशकों को अर्जित लाभांश (डिविडेंड) पर कोई कर नहीं देना होगा. निवेशकों के लिए 10 लाख तक की आय होने पर लाभांश पर प्रभावी कर में कमी होना काफी महत्वपूर्ण है, जो 20% के पूर्ववर्ती डीडीटी की तुलना में कम है. यह कदम भारतीय इक्विटी मार्केट और निवेशकों के बड़े वर्ग को राहत प्रदान करने वाला है.
ब्याज, लाभांश और पूंजीगत लाभ आय को 100% कर छूट प्रदान करके बुनियादी ढांचे और अन्य अधिसूचित क्षेत्रों में किये गये निवेश को सरकार ने मजबूती प्रदान की है और विदेशी सरकारों के सॉवरिन वेल्थ फंड को भी प्रोत्साहन दिया है. इससे कॉरपोरेट्स की पहुंच कम लागत पर विदेशी फंड पर अधिक होगी, क्योंकि सरकार ने विदेशों के गैर-निवासियों को पांच प्रतिशत की दर पर रियायती अवधि की सीमा में बढ़ोतरी की है.
जैसा कि वित्त मंत्री ने कहा है, स्टार्टअप्स देश के विकास इंजन हैं. प्रारंभिक वर्षों में सामान्य रूप से एक स्टार्टअप को 100% मुनाफा नहीं हो सकता है, क्योंकि कर में छूट 7 साल से लगातार 3 साल में उपलब्ध है. छूट के लिए इसमें टर्नओवर 25 करोड़ से बढ़ा कर 100 करोड़ कर दिया गया है और इसकी अवधि 10 साल से 3 साल कर दी गयी है. इस कदम से स्टार्टअप इकोसिस्टम को लाभ होगा, क्योंकि स्टार्टअप्स भी छूट का दावा करने में सक्षम होंगे तथा 7वें वर्ष के अंत तक लाभदायक होंगे. इस संशोधन से देश में उद्यमिता को बढ़ावा मिलेगा.
स्टार्टअप, एम्प्लॉय स्टॉक ऑप्शन प्लान (इएसओपी) प्रदान करता है, जो प्रतिभाशाली कर्मचारियों को आकर्षित करता है. यह इन कर्मचारियों के लिए मुआवजे का एक महत्वपूर्ण घटक है. वर्तमान में इएसओपी कार्यान्वयन के समय भी लाभ के रूप में कर-योग्य है.
इससे उन कर्मचारियों को नकदी-प्रवाह की समस्या होती है, जो तुरंत शेयर नहीं बेचते हैं. इसमें संशोधन किया गया है. अब पांच साल या कर्मचारियों के कंपनी छोड़ने तक या जब वे अपने शेयर बेचते हैं, जो पहले हो, के समय कर लगेगा. यह कर्मचारी पर दबाव कम करेगा और स्टार्टअप के इको-सिस्टम के विकास में योगदान करेगा. कुल मिला कर इस बजट से देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती देनेवाले घटकों को बढ़ावा मिलेगा.

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