Budget 2020 : धरातल पर उतारने की चुनौती

आशुतोष चतुर्वेदी प्रधान संपादक, प्रभात खबर ashutosh.chaturvedi @prabhatkhabar.in वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने जितना लंबा बजट भाषण दिया, उतनी ही बड़ी घोषणाएं भी कीं. अब चुनौती इन योजनाओं को धरातल पर उतारने की है. कुछ समय पहले भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया में सबसे तेज गति से बढ़नेवाली अर्थव्यस्थाओं में शामिल थी, लेकिन पिछले कुछ समय में जीडीपी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 3, 2020 7:17 AM
आशुतोष चतुर्वेदी
प्रधान संपादक, प्रभात खबर
ashutosh.chaturvedi
@prabhatkhabar.in
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने जितना लंबा बजट भाषण दिया, उतनी ही बड़ी घोषणाएं भी कीं. अब चुनौती इन योजनाओं को धरातल पर उतारने की है. कुछ समय पहले भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया में सबसे तेज गति से बढ़नेवाली अर्थव्यस्थाओं में शामिल थी, लेकिन पिछले कुछ समय में जीडीपी पिछले कई दशकों में सबसे कम रही है.
अर्थव्यवस्था की इस सुस्ती से सभी चिंतित हैं. हालांकि इस सुस्ती को सीमित अवधि का बताया जा रहा है. बजट में लोगों की निगाहें इसी पर लगीं थीं कि सरकार इस सुस्ती को दूर करने के लिए क्या कदम उठाती है. इसमें सबसे अहम इंफ्रास्ट्रक्टर में निवेश को माना जाता है.
इस क्षेत्र में निवेश अर्थव्यवस्था को एक बार फिर गति दे सकता है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इंफ्रास्ट्रक्टर के क्षेत्र में बड़े निवेश की घोषणा की और बताया कि सरकार आगामी पांच वर्षों में इंफ्रास्ट्रक्चर पर 100 लाख करोड़ खर्च करेगी. इसके तहत मॉर्डन रेलवे स्टेशन, हवाई अड्डे, बस स्टेशन और लॉजिस्टिक सेंटर्स बनाये जायेंगे.
दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे, चेन्नई-बेंगलुरु एक्सप्रेस-वे को जल्द ही पूरा किया जायेगा. सरकार जल्द इन्वेस्टमेंट क्लियरेंस सेल का भी गठन करेगी. इसके अलावा इलेक्ट्रॉनिक मेन्यूफैक्चरिंग इंडस्ट्री के लिए एक नयी योजना बनायी जायेगी. साथ ही हर जिले में एक्सपोर्ट हब बनाने की सरकार की योजना है. वित्त मंत्री ने कहा कि वर्ष 2020-21 में परिवहन इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए 1.70 लाख करोड़ रुपये का प्रस्ताव है. सरकार साल 2024 तक 100 और हवाई अड्डों को तैयार करेगी. शिक्षा के लिए वित्त मंत्री ने 99,300 करोड़ का प्रस्ताव किया है. बजट में राष्ट्रीय पुलिस यूनिवर्सिटी और नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ फॉरेंसिक साइंस का भी प्रस्ताव किया गया है.
देश में कौशल विकास के लिए तीन हजार करोड़ रुपये का प्रस्ताव किया है. ये उपाय अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए प्रभावकारी साबित हो सकते हैं, लेकिन सबसे बड़ी चुनौती इन योजनाओं को धरातल पर उतारने की है. हम देखते आये हैं कि योजनाएं तो बहुत अच्छी बनती हैं, पर उनका कार्यान्वयन या तो होता नहीं अथवा बहुत खराब तरीके से होता है. कौशल विकास इसका उदाहरण है. बजट में किसानों के लिए कई घोषणाएं हुई हैं. अगर ये जमीन पर उतारी जाती हैं, तो निश्चित रूप से किसानों को लाभ होगा.
वर्तमान में जिस बात की सबसे ज्यादा चर्चा है, वह है नयी कर व्यवस्था की. देश में अभी मांग का संकट है. करों में जो राहत देने की कोशिश की गयी है, उससे मांग बढ़ सकती है. वित्त मंत्री ने कहा है कि जो नया कर ढांचा बनाया गया है, उससे 15 लाख रुपये से कम सालाना आय वालों को लाभ मिलेगा.
सरकार ने नयी व्यवस्था भी बना दी है कि अगर कोई व्यक्ति चाहे, तो पुरानी अथवा नयी कर व्यवस्था के तहत आय कर दे सकता है. अगर करदाता की जेब में पैसे बचेंगे, तो उसका फायदा बाजार और अर्थव्यवस्था को होगा. वित्त मंत्री का मकसद साफ है. वह मध्य वर्ग के हाथ में पैसा देना चाहती हैं, ताकि वह इस पैसे को वह खर्च कर सके, लेकिन पैसे कितने बचेंगे, यह स्पष्ट नजर नहीं आता.
अगर यह रकम आम आदमी के खर्च के रूप में बाजार में जायेगी, तो निश्चित रूप से अर्थव्यवस्था को सहारा मिलेगा. सरकार ने लोगों को दो विकल्प दिये हैं. ऐसा कभी हुआ नहीं कि सरकार ने दो कर व्यवस्था लागू की हो. इस घोषणा का दूसरा पक्ष यह है कि दबाव में ही सही, जो बचत हो जाती थी, उसका चलन समाप्त हो जायेगा. यह पश्चिम का मॉडल है, जहां कमाओ और सब खर्च करो जैसा चलन है. हमने उस दिशा में पहला कदम बढ़ाया है, लेकिन पश्चिम में सामाजिक सुरक्षा की व्यापक व्यवस्था है. ऐसी व्यवस्था हमारे देश में नहीं है. अमूमन यही छोटी बचत बुढ़ापे का सहारा बनती है.
शेयर बाजार को यह बजट पसंद नहीं आया. शेयर बाजार लगभग एक हजार अंक नीचे गिर कर बंद हुआ. यह एक दिन में लगभग 2.43 प्रतिशत की गिरावट है. यह भी सच है कि शेयर बाजार अर्थव्यवस्था की सही तस्वीर प्रदर्शित नहीं करता है. देश में अर्थव्यवस्था सुस्त है, पर पिछले कुछ समय से देश में शेयर बाजार नित नये रिकॉर्ड बना रहा है. वित्त मंत्री ने बैंकिंग क्षेत्र से जुड़ी एक महत्वपूर्ण घोषणा की है. सरकार ने बैंक जमा पर गारंटी सीमा को बढ़ा कर पांच लाख रुपये कर दिया है. इस सीमा में बढ़ोतरी की मांग बैंक खाताधारक एक लंबे समय से कर रहे थे.
अब यदि कोई बैंक डूबता है, तो बैंक खाते में जमा पांच लाख रुपये तक की राशि सुरक्षित रहेगी. इस घोषणा से बैंकों पर भरोसा बढ़ेगा. अभी तक डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन एक्ट, 1961 के तहत बैंक में जमा राशि में से एक लाख रुपये तक की राशि सुरक्षित होती है. वित्त मंत्री ने एलआइसी को लेकर बड़ी घोषणा की है. सरकार एलआइसी में अपनी हिस्सेदारी का एक हिस्सा बेचने जा रही है. वित्तमंत्री ने कहा कि सरकार शेयर बाजार में एलआइसी को सूचीबद्ध करेगी. अगले वित्तीय वर्ष में एलआइसी को सूचीबद्ध करने की योजना है. यह हाल के दिनों में देश का सबसे बड़ा सार्वजनिक निर्गम हो सकता है.
वहीं सरकार के राजस्व को बढ़ाने के लिए यह एक बड़ा विनिवेश प्रस्ताव होगा. पिछले दिनों ऐसी खबरें आयी थीं कि एलआइसी मुश्किल दौर में है. इस आइपीओ के लिए सरकार को एलआइसी एक्ट में संशोधन करना होगा. एलआइसी की निगरानी फिलहाल इंश्योरेंस रेग्युलेटरी डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया करती है. वित्त मंत्री ने आइडीबीआइ बैंक की हिस्सेदारी निजी निवेशकों को बेचने की घोषणा की है.
हाल ही में सरकार ने आइडीबीआइ बैंक को वित्तीय संकट से बाहर निकाला है, लेकिन देखने में आया है कि सरकार की विनिवेश की योजनाएं अक्सर सिरे नहीं चढ़ पाती हैं. एयर इंडिया को तीन बार बेचने की कोशिश हो चुकी है, पर सफलता नहीं मिली है. पिछले साल सरकार ने विनिवेश के जरिये एक लाख पांच हजार करोड़ लक्ष्य निर्धारित किया गया था, लेकिन सरकार 65 हजार करोड़ रुपया यानी लक्ष्य का लगभग 60 फीसदी ही विनिवेश से जुटा पायी. इस बार इसे बढ़ा कर दो लाख 10 हजार करोड़ कर दिया गया है. सरकार को लग रहा है कि एलआइसी विनिवेश से काफी बड़ी रकम आ जायेगी.
एलआइसी और आइडीबीआइ में हिस्सेदारी बेचने के फैसले का संघ से जुड़े भारतीय मजदूर संघ ने भी विरोध किया है. उसने कहा है कि राष्ट्र की संपत्तियों को बेच कर पैसे जुटाने का तरीका खराब अर्थशास्त्र का उदाहरण है. यह बात सही है कि घाटे में चल रहे सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को बेचने से आपको पैसा नहीं मिलेगा, लेकिन अच्छा काम कर रही कंपनियों के विनिवेश से एकबारगी तो आप रकम जुटा लेंगे, लेकिन उनसे मिलने वाला राजस्व भी कम हो जायेगा. अनेक अर्थशास्त्री इसे बेहतर उपाय नहीं मानते हैं.

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