कोरोना पर अफवाहों से बचें

डॉ एके अरुण जन स्वास्थ्य वैज्ञानिक docarun2@gmail.com रविवार की रात तक कोरोना वायरस से दुनियाभर में 361 लोगों की मौत हो चुकी है तथा 17,205 मामलों की पुष्टि हुई है. जाहिर है कि चीन से फैली यह महामारी अब फिलीपींस और अन्य एशियाई देशों में प्रवेश कर चुकी है. भारत में भी इसके कुछ मामले […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 4, 2020 8:16 AM

डॉ एके अरुण

जन स्वास्थ्य वैज्ञानिक

docarun2@gmail.com

रविवार की रात तक कोरोना वायरस से दुनियाभर में 361 लोगों की मौत हो चुकी है तथा 17,205 मामलों की पुष्टि हुई है. जाहिर है कि चीन से फैली यह महामारी अब फिलीपींस और अन्य एशियाई देशों में प्रवेश कर चुकी है. भारत में भी इसके कुछ मामले हैं. लेकिन, इसमें घबराने की कोई जरूरत नहीं है.

सभी संबद्ध सूचनाओं पर निगरानी रखी जा रही है और उसके आधार पर एहतियात बरती जा रही है. कई साल पहले सॉर्स नामक वायरस फैला था. उसे हम कोरोना वायरस का संबंधी कह सकते हैं. हमारे देश में उसे लेकर काफी दहशत फैली थी. ये वायरस आम तौर पर फेफड़ों में संक्रमण करते हैं. इस वायरस के लक्षण सामान्य इंफ्लूएंजा के लक्षणों से मिलते हैं. इस कारण ऐसा भ्रम हमेशा बना रहता है कि यह साधारण सर्दी-जुकाम है या फिर कोरोना का असर है.

यदि किसी को सिर में दर्द हो, नाक बहने की शिकायत हो, खांसी हो, गले में और सांस लेने में दिक्कत हो या बुखार हो तथा इन सबके साथ थकान महसूस हो रही हो, फेफड़े में सूजन हो- ये सारे लक्षण एक साथ दिखते हों, तो तुरंत किसी विशेषज्ञ चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए. इसके लिए सरकार ने एम्स और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कम्युनिकेबल डिजीजेज को नोडल एजेंसी के रूप में चिह्नित किया है.

लगभग सभी बड़े अस्पतालों और जिला अस्पतालों को खास प्रशिक्षण के जरिये रोग की पहचान करने के लिए निर्देश दे दिया गया है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय इस मामले में पूरी तरह से सचेत है और हालत पर नजर रख रहा है. सबसे अहम बात कि देश के सात बड़े हवाई अड्डों पर संदिग्ध रोगी की पहचान के लिए थर्मल सेंसर मशीन की व्यवस्था की गयी है. इस मशीन से बहुत सहज तरीके से रोगी को चिह्नित किया जा सकता है.

कोरोना वायरस को लेकर वैज्ञानिकों की चिंता है कि अभी तक इस वायरस के रोग के लक्षण बहुत स्पष्ट नहीं हैं. इसके एंटी वायरल दवा बनाने की प्रक्रिया अभी जारी है. हालांकि, कंपनी दावा कर रही है कि वह दवा बनाने में कामयाब हो चुकी है, जिसका अभी मानव परीक्षण होना बाकी है. लेकिन, अगर किसी महामारी में दवा का मानव परीक्षण नहीं हुआ है, तो उसे हम प्रचलन में नहीं ला सकते. उस दृष्टि से चिकित्सा वैज्ञानिक और चिकित्सकों में एक घबराहट की स्थिति जरूर है.

अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (एनआइएच) के वैज्ञानिकों ने दावा कि कोरोना वायरस का टीका बना लिया गया है. लेकिन, अभी तक यह दावा जमीन पर नहीं है. दूसरी जरूरी चीज है कि कोरोना वायरस को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने महामारी घोषित कर दिया है. महामारी की घोषणा के बाद से अनुमान लगाया जा रहा है कि इससे पूरी दुनिया में करीब पांच लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है. ये नुकसान कई तरीके से हो सकता है. जाहिर है कि कोरोना वायरस के संक्रमण से व्यापारिक गतिविधियों और लोगों की आवाजाही रोक दी जाती है. एक देश से दूसरे देश में जाने पर प्रतिबंध होता है और लोग भी एहतियात बरतते हैं. इन सारी गतिविधियों से लाखों करोड़ रुपये का नुकसान होना स्वाभाविक है.

यहां जानना जरूरी है कि कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए हम क्या करें. चूंकि, यह संक्रमण एक-दूसरे के संपर्क में आने से फैलता है. अगर कोई व्यक्ति कोरोना वायरस से संक्रमित है, तो दूसरे व्यक्ति में छींक के माध्यम से यह संक्रमण होने का खतरा रहता है. खांसी या बलगम के माध्यम से भी यह बीमारी फैल सकती है. लोगों को मुंह पर मास्क रखना चाहिए. विशेषकर स्वास्थ्य विभाग द्वारा किसी इलाके में संदिग्ध कोरोना वायरस से संबंधित एडवायजरी जारी होने के बाद सतर्क रहने की जरूरत है.

अन्यथा अफरातफरी मचाने की जरूरत नहीं है. सामान्य खांसी जुकाम के मामले में भी सावधानी जरूरी है, क्योंकि संक्रमण वाली बीमारियों का परिवार में विशेषकर बच्चों में फैलने की संभावना अधिक रहती है. अगर जुकाम, खांसी, छींक, तीनों संक्रमण के तीव्रता के लक्षण हैं, तो जरूर सावधानी बरतनी चाहिए.

दूसरा यह है कि वायरल बीमारियों में पानी अधिक पीना चाहिए. आमतौर पर शरीर के अपने अंदर एंटीबॉडीज बनाने में और उसको ड्रेन करने के लिए शरीर में पर्याप्त मात्रा में पानी होना चाहिए. वह धमनियों के माध्यम से उसे फिल्टर करता है. शरीर की अपनी एक प्रतिरक्षा प्रक्रिया है.

इसमें खुद शरीर अपने बचाव के सारे इंतजाम करती है. कभी-कभी अफरातफरी में लोग दवा समझकर गलत पदार्थों का सेवन कर लेते हैं, जिसका साइड इफेक्ट होता है. होम्योपैथी की एक दवा वायरल की जा रही है. अभी सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन होम्योपैथी ने एेसी कोई सलाह जारी नहीं की है. जिस सरकारी एजेंसी को जांच की जिम्मेदारी दी गयी है, उसकी एडवायजरी का हमें इंतजार करना चाहिए. इसके बाद दवा लेने की बात सोचनी चाहिए.

सरकार की तरफ से अभी तक कोई ठोस जानकारी नहीं दी गयी है. हालांकि, देश में दो-तीन मरीज देखे गये हैं, लेकिन इसे महामारी के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए. अपुष्ट जानकारी के आधार पर अफरातफरी नहीं होनी चाहिए. आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर सही जानकारी ली जा सकती है. भारत में अभी स्थिति बिल्कुल सामान्य है.

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