मातृभूमि सबसे पवित्र

इंसान के प्रति इंसान की बढ़ती नफरत की भावनाएं इस धरती के लिए अभिशाप बनती जा रही है. विश्व की प्राचीनतम सभ्यता और संस्कृतियों में एक भारतीय संस्कृति वोटों की राजनीति की बलि चढ़ रही है. एक अच्छा मित्र भी अपने जान से प्यारे सखा को शक की निगाहों से देखने को मजबूर है. यह […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 12, 2020 7:42 AM
इंसान के प्रति इंसान की बढ़ती नफरत की भावनाएं इस धरती के लिए अभिशाप बनती जा रही है. विश्व की प्राचीनतम सभ्यता और संस्कृतियों में एक भारतीय संस्कृति वोटों की राजनीति की बलि चढ़ रही है. एक अच्छा मित्र भी अपने जान से प्यारे सखा को शक की निगाहों से देखने को मजबूर है.
यह भूमि हम सब की मां है और मां के अस्तित्व के लिए हर बेटे को अपने विवेक का इस्तेमाल कर एकीकृत होकर रहना होगा क्योंकि कयामत की रात भी आयेगी, स्वर्ग के पहरूये और ईश्वर मातृभूमि में किये गये प्रत्येक अच्छे-बुरे कर्मो का लेखा-जोखा लेंगे. तब हमें मां के दूध को कलंकित होने से बचाना होगा. राम, रहीम, सुखविंदर, पीटर सभी को अपने माटी की लाज रखनी चाहिए.
देवेश कुमार ‘देव’, गिरिडीह, झारखंड

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