कम से कम आलू तो पहुंच में रहे!

टमाटर की कीमतों में लगी आग अभी ठंडी भी नहीं हुई है कि आलू के भाव भी टमाटर की तरह लाल हो रहे हैं. वजह है पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा राज्य से बाहर आलू ले जाने पर लगायी गयी पाबंदी. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निर्देश पर झारखंड की सीमा पर आलू लदे दर्जनों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 9, 2014 5:59 AM

टमाटर की कीमतों में लगी आग अभी ठंडी भी नहीं हुई है कि आलू के भाव भी टमाटर की तरह लाल हो रहे हैं. वजह है पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा राज्य से बाहर आलू ले जाने पर लगायी गयी पाबंदी.

बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निर्देश पर झारखंड की सीमा पर आलू लदे दर्जनों ट्रक जब्त कर लिये गये. ममता दीदी ने साफ कहा है कि आलू की कीमतें नियंत्रित होने तक राज्य से एक आलू बाहर नहीं जायेगा. इसके चलते झारखंड में आलू की कीमतें एकदम से बढ़ गयी हैं. झारखंड की कई मंडियों में आलू का स्टॉक खत्म हो गया है. खुदरा बाजार में आलू 30-35 रुपये प्रति किलो बिक रहा है.

आलू की कीमतों में आये इस उछाल से झारखंड में पश्चिम बंगाल और खास कर ममता दीदी के खिलाफ लोगों में आक्रोश है. दीदी के तुगलकी फरमान से झारखंड के व्यापारियों के कम से कम सौ करोड़ रुपये फंस गये हैं, जो उन्होंने आलू के लिए पेशगी दिये थे. प्रदेश के अधिकतर जिलों में आलू की आवक बंगाल से पूर्णत: बंद होने से कीमत में दोगुनी वृद्धि हो गयी है. बंगाल से आलू का रुकने का असर यह हो रहा है कि झारखंड की सब्जियां भी वहां नहीं भेजी जा रही हैं.

इससे झारखंड के सब्जी किसानों को भारी नुकसान हो रहा है. दूसरी तरफ राज्य सरकार को आलू की किल्लत कहीं से नजर नहीं आ रही है. खाद्य आपूर्ति विभाग के आला अफसर कहते हैं कि झारखंड में आलू का पर्याप्त भंडार है. अगर किल्लत होगी, तो सरकार बंगाल सरकार से बात करेगी. बात नहीं बनी, तो हम उत्तर प्रदेश या अन्य पड़ोसी राज्यों से आलू मंगवायेंगे.

राज्य सरकार की इस दलील से व्यापारियों में भारी आक्रोश है. उनका कहना है कि इससे तो सैकड़ों टन आलू ट्रकों में ही सड़ जायेगा, क्योंकि आलू बारिश और धूप में पड़ा है. व्यापारियों का कहना है कि झारखंड सरकार को ममता दीदी से सीधे बातचीत करनी चाहिए, वरना राज्य में आलू की कीमतें अनियंत्रित हो जायेंगी. आपको याद होगा कि ममता बनर्जी की सरकार ने इससे पहले भी बंगाल से बाहर आलू ले जाने पर रोक लगा दी थी. तब राज्य सरकार के हस्तक्षेप के बाद स्थिति सामान्य हो सकी थी. अब एक बार फिर सरकार को चाहिए कि वह आम लोगों के आहार आलू पर आये संकट को दूर करने की पहल करे.

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