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घर का झगड़ा घर में ही सुलझे

केंद्र सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाये जाने के बाद वहां पिछले लगभग छह महीने से कर्फ्यू लगा हुआ है, इंटरनेट सेवा बाधित है, बहुत दिनों तक स्कूल-कॉलेज बंद रहे, व्यापार-रोजगार आदि पंगु हो कर रह गये हैं तथा वरिष्ठ राजनेता हिरासत में हैं. केंद्र सरकार के अनुसार जम्मू-कश्मीर की स्थिति बिल्कुल सामान्य है. […]

केंद्र सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाये जाने के बाद वहां पिछले लगभग छह महीने से कर्फ्यू लगा हुआ है, इंटरनेट सेवा बाधित है, बहुत दिनों तक स्कूल-कॉलेज बंद रहे, व्यापार-रोजगार आदि पंगु हो कर रह गये हैं तथा वरिष्ठ राजनेता हिरासत में हैं.
केंद्र सरकार के अनुसार जम्मू-कश्मीर की स्थिति बिल्कुल सामान्य है. अब समाचार है कि एक तीसरा विदेशी प्रतिनिधिमंडल वहां के हालात का जायजा लेने के लिए आया है. अफसोस है कि केंद्र सरकार विदेशी प्रतिनिधिमंडलों को जम्मू-कश्मीर जाने की इजाजत दे रही है, पर अपने सांसदों को वहां जाने से रोक रही है. इससे राज्य के बारे में धुंध छंटने की बजाय और गहरी हो रही है.
यक्ष प्रश्न है कि अगर जम्मू-कश्मीर में सब कुछ ‘सामान्य’ है, तो वहां देश के नेताओं के जाने पर प्रतिबंध क्यों? लोकतांत्रिक देश ऐसे नहीं चलते हैं, बल्कि सच तो यह है कि ऐसी स्थिति से दुनियाभर की नजरों में भारत की छवि खराब हो रही है. हमारे पूर्वजों का कथन है कि ‘घर का मतभेद घर में ही सुलझा लेना ही सबसे श्रेयस्कर होता है.’
– निर्मल कुमार शर्मा, गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश

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