सेना व अर्धसैनिक बल के जवान घर-परिवार से दूर रहकर हजारों किलोमीटर जोखिम भरे इलाके और खराब मौसम में अनवरत काम करते रहते हैं. उनकी सेवा का ही फल है कि हम सब सुरक्षित रहते हैं. छुट्टी के मौके पर वे घर आते हैं. यदि वे किसी काम से सरकारी कार्यालय जाते हैं, तो स्थानीय अधिकारी उनके साथ अच्छा व्यवहार नहीं करते हैं. किसी काम के लिए उन्हें दौड़ाया जाता है़, यह शर्म की बात है़
हमारा कर्तव्य होना चाहिए कि नियमानुसार उनके कार्यों को तरजीह देकर जल्दी से जल्दी पूरा कर दिया जाये़ क्योंकि उनके पास समय की कमी रहती है़ ऐसा करने से उनका मनोबल ऊंचा रहेगा और वे तनावमुक्त होकर अपनी सेवा दें सकेंगे. सेना के जवान मुश्किलों का समाना कर अपनी ड्यूटी करते हैं. इसलिए उनके निजी व परिवार के लोगों के काम को सम्मान के साथ समय पर कराने का प्रयास किया जाना चाहिए.
मुकेश कुमार मनन, पटना