सूचना के अधिकार के रूप में भारत सरकार ने भारतीय नागरिकों को भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ने का एक बहुत बड़ा अस्त्र दे दिया है, लेकिन कई विभागों में सूचना का अधिकार मांगनेवाले नागरिकों को असहयोग का भी सामना करना पड़ रहा है.
इसी संदर्भ में मैं यह बताना चाहता हूं कि मैंने अपने इलाके के एक सरकारी स्कूल के बारे में पिछले साल दिसंबर में कुछ जनकारियां मांगी थी. विद्यालय के तत्कालीन टीचर इनचार्ज ने अपने कार्यालय में आवेदन-पत्र स्वीकार भी किया था, लेकिन आज आठ महीने से अधिक समय बीत जाने के बाद भी विद्यालय के तरफ से मुझे किसी भी प्रकार की जानकारी मुहैया नहीं करायी गयी है और न ही अभी तक कोई कारण ही बताया गया है. इससे साफ है कि सरकारी नीतियों पर सरकारी महकमे ही काम नहीं करते तो और कौन, क्या करेंगे?
धनंजय कु पांडेय, रिशड़ा, कोलकाता