इस बेमेल गंठबंधन के मायने!
इसे समय का तकाजा कहें या बिहार की तकदीर. केंद्र सरकार के विपरीत प्रदेश की सरकार बनती है. दुर्भाग्यवश जनता इसे सौतेला व्यवहार मानती है. तीर से लालटेन फोड़ने की बात कहनेवाले अभी लालटेन के सहारे ही अपनी सरकार चला रहे हैं. पंजा नहीं पड़ने देंगे, पर वही पंजा भी साथ हो लिया. अब तिकड़ी […]
इसे समय का तकाजा कहें या बिहार की तकदीर. केंद्र सरकार के विपरीत प्रदेश की सरकार बनती है. दुर्भाग्यवश जनता इसे सौतेला व्यवहार मानती है. तीर से लालटेन फोड़ने की बात कहनेवाले अभी लालटेन के सहारे ही अपनी सरकार चला रहे हैं.
पंजा नहीं पड़ने देंगे, पर वही पंजा भी साथ हो लिया. अब तिकड़ी की सोच लालटेन जला कर पंजे के सहारे तीर चलाने की और कीचड़ से कमल खत्म करने की है. इस तिकड़ी के मेल से बिहार में कीचड़ बढ़ रहा है. भ्रष्टाचार बढ़ रहा है.
चूंकि युवा वर्ग जागरूक है, जातिवाद कम हो रहा है, नतीजतन कीचड़ में कमल और ज्यादा ही खिलेंगे. बिहार को नीतीश कुमार ने कमल के सहारे खुशहाल बनाया, लेकिन उनकी अहंकारी प्रवृत्ति ने सब कुछ बर्बाद कर दिया. लेकिन अब जनता को जातिवाद नहीं विकास चाहिए, नया बिहार चाहिए.
संतोष, जमशेदपुर