आया लोक लुभावन घोषणाओं का मौसम

राज्य के प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च विद्यालयों में पढ़नेवाले एसटी, एससी और ओबीसी छात्रों के लिए खुशखबरी है. झारखंड सरकार ने इन छात्रों को दी जानेवाली छात्रवृत्ति में वृद्धि का फैसला किया है. यानी पहले से ज्यादा पैसे मिलेंगे. सरकार का यह फैसला छात्रों को राहत पहुंचाने वाला है. छात्र इससे गदगद भी हैं, लेकिन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 27, 2014 1:11 AM

राज्य के प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च विद्यालयों में पढ़नेवाले एसटी, एससी और ओबीसी छात्रों के लिए खुशखबरी है. झारखंड सरकार ने इन छात्रों को दी जानेवाली छात्रवृत्ति में वृद्धि का फैसला किया है.

यानी पहले से ज्यादा पैसे मिलेंगे. सरकार का यह फैसला छात्रों को राहत पहुंचाने वाला है. छात्र इससे गदगद भी हैं, लेकिन इस निर्णय पर कुछ सवाल भी उठने लाजिमी हैं. आखिर क्यों सरकार को इतने दिनों बाद इन छात्रों को दी जानेवाली राहत की याद आयी? पहले छात्रों को पैसे की जरूरत नहीं थी. अगर थी, तो पहले निर्णय क्यों नहीं हुआ? कहा भी जाता है कि समय पर दवा देना ज्यादा लाभकारी उपाय होता है. लेकिन इसके पीछे की मंशा ही कुछ और है.

झारखंड में कुछ माह बाद विधानसभा चुनाव होनेवाले हैं. चुनाव की घोषणा जल्दी ही होगी. अमूमन देखा जाता है कि चुनाव आते ही कल्याणकारी घोषणाएं होने लगती हैं. लेकिन चुनाव खत्म होते ही ये घोषणाएं दफन हो जाती हैं. बढ़ोत्तरी का फैसला दीर्घकालीन हो, यही कामना है. क्योंकि ये राशि गरीब छात्रों के लिए संजीवनी है. अमूमन चुनावी मौसम में सरकार बड़ी-बड़ी घोषणाएं करके वोट बढ़ाने की फिराक में जुट जाती है. पूर्व में भी ऐसे ढेरों उदाहरण देखने-सुनने को मिले हैं, जहां घोषणाएं तो हुईं, लेकिन अमल हुआ ही नहीं. खैर, झारखंड सरकार ने छात्रवृत्ति राशि बढ़ा कर छात्रों और उनके अभिभावकों को खुश किया है. यही नहीं राज्य सरकार के तमाम कर्मचारियों को भी राहत देने की कोशिश की गयी है. अब सरकारी कर्मचारी की नियुक्ति में उम्र की गणना एक जनवरी के बदले एक अगस्त से होगी.

सरकारी कर्मचारियों को पूरे सेवा काल में दो बार देश में कहीं भी सरकारी खर्च पर घूमने की भी सुविधा देने का भी फैसला लिया गया है. ऐसा कर राज्य की हेमंत सोरेन सरकार ने एक तीर से दो निशाना लगाया है. एक तो युवा वोट बैंक को साधा है, दूसरा चुनाव कार्य में अहम भूमिका निभानेवाले सरकारी बाबूओं की भी शिकायत दूर की है. बहरहाल राज्य के छात्रों और सरकारी कर्मियों को खुश होना चाहिए, भले ही घोषणा चुनावी माहौल में हुई है. अभी तो ये शुरुआत है. आनेवाले दिनों में इस तरह की और भी लोक लुभावन घोषणाएं होंगी, इससे इनकार नहीं किया जा सकता. देखना यह है कि कितनी सरकारी घोषणाओं का क्रियान्वयन होता है.

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