मंत्रीजी की विदेश यात्रा के बहाने..

अब्दुल चाचा अपने बेटे चुन्नू को चिल्ला-चिल्ला कर पीट रहे थे. लोगों के पूछने पर पता चला कि फाइनल इम्तिहान में सारे विषयों में फेल हुआ है और अंगरेजी में तो दो बड़े-बड़े लडडू मिले हैं. आज उस बात को करीबन 35 साल हो गये, चुन्नू मियां की जिंदगी में सब कुछ बदल चुका है, […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 28, 2014 1:29 AM

अब्दुल चाचा अपने बेटे चुन्नू को चिल्ला-चिल्ला कर पीट रहे थे. लोगों के पूछने पर पता चला कि फाइनल इम्तिहान में सारे विषयों में फेल हुआ है और अंगरेजी में तो दो बड़े-बड़े लडडू मिले हैं.

आज उस बात को करीबन 35 साल हो गये, चुन्नू मियां की जिंदगी में सब कुछ बदल चुका है, सिवाय उनके अंगरेजी ज्ञान के. आज भी वह अंगरेजी में माइ नेम इज चुन्नू, यस, नो, व्हाट, व्हेयर, प्लीज, थैंक यू, सॉरी के अलावा कुछ नहीं जानते. यह जान कर हैरानी होती है कि जो चुन्नू कल तक पढ़ाई में फिसड्डी होने के कारण पिटाई खाता था, आज सरकार में मंत्री बन बैठा है और विदेश दौरे पर जाने वाला है.

चुन्नू मियां को अच्छी तरह से जाननेवालों को सोच कर हैरानी हो रही है कि आखिर वो विदेश जाकर बोलेंगे क्या? बात कैसे करेंगे? मीडियावालों ने जब चुन्नु मियां से इस बारे में पूछा, तो जवाब मिला- ‘‘विदेश का विकास देखने जा रहे हैं, तभी तो झारखंड को हाइटेक बनायेंगे.’’ चूंकि चुन्नू मियां के किस्से मैंने सुने थे इसलिए ये बातें सुन कर हंसी आयी, जैसे मार खाते वक्त अपने अब्बू से बातें बनाता था, आज जनता से बना रहा है. मैंने मन ही मन कहा, तू नहीं सुधरेगा चुन्नु!

हमारे राज्य में चुन्नू मियां जैसे कई नेता मौजूद हैं, शायद इसीलिए हमारा यह हाल है. झारखंड के साथ दो और राज्य भी बने थे. आज विकास के मामले में वो झारखंड से मीलों आगे हैं. कहते हैं न दूर के ढोल सुहावने होते हैं, इसलिए झारखंड के मंत्री अपने अगल-बगल के राज्य को देखना पसंद नहीं करते. झारखंड को ज्यादा हाइटेक बनाने के लिए सीधे विदेश जाते हैं. कुछ दिनों बाद सुनने को मिलेगा कि अब फलां मंत्री चांद पर भी जाना चाह रहा है, वहां का विकास देखने. हालांकि यह तो पक्का है कि झारखंड का विकास विदेश जैसा भले हो न हो, चांद जैसा जरूर होगा, बंजर और खाली.

मंत्री जी के विदेश जा कर वहां का विकास देखने की बात जैसे ही मीडिया में छायी, मंत्री जी ने विदेश जाना यह कह कर स्थगित कर दिया कि जनता भी साथ जाना चाह रही थी इसलिए मैंने नहीं जाने की सोची. ये तो वही बात हो गयी कि अगर किसी बच्चे के पापा को घर से बाहर जाना होता है, तो बच्च रो-रो कर बुरा हाल कर लेता है, गोद से उतरता ही नहीं, तो ऐसे में बच्चे के पापा बाहर जाना छोड़ घर में बच्चे के साथ बैठ जाते हैं. फिर बच्चे को बहला-फुसला कर, सुला कर निकल जाते हैं. कहीं ऐसा न हो कि किसी दिन हमें बच्च समझ कर, ठग कर, फुसला कर मंत्रीजी भी विदेश निकल जायें. पर हमें समझना है कि हम उन मंत्रियों को बनाने वाले हैं. जनता उस पिता के समान है, जो अपने बच्चे को कहीं जाने से पहले हाथ में पैसे पकड़ाती है. हमने उन मंत्रियों को भी कहीं जाने से पहले तरह-तरह के टैक्स के माध्यम से पैसे पकड़ाये हैं और अब वही हमारा बाप बनना चाह रहे हैं.

रूपम कुमारी

प्रभात खबर, रांची

rupam.pkmedia@gmail.com

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