तो इसलिए टूटा संघर्ष विराम!

नरेंद्र मोदी की ताजपोशी में जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ भारत आये तो ऐसा लगा कि दोनों देशों के बीच रिश्तों की नयी इबारत लिखी जायेगी. लेकिन उनके वापस लौटने के दो-तीन महीनों के भीतर अचानक ऐसा क्या हो गया, जो अंतरराष्ट्रीय सीमा इतनी अशांत हो गयी? पाकिस्तान ने ऐसा कौन सा अद्भुत हथियार […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 1, 2014 1:31 PM

नरेंद्र मोदी की ताजपोशी में जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ भारत आये तो ऐसा लगा कि दोनों देशों के बीच रिश्तों की नयी इबारत लिखी जायेगी. लेकिन उनके वापस लौटने के दो-तीन महीनों के भीतर अचानक ऐसा क्या हो गया, जो अंतरराष्ट्रीय सीमा इतनी अशांत हो गयी? पाकिस्तान ने ऐसा कौन सा अद्भुत हथियार बना लिया जो बार-बार हारने के बाद भी भारत को चुनौती देने का दुस्साहस करने लगा?

दरअसल पाकिस्तान की सियासत अभी एक बेहद मुश्किल दौर से गुजर रही है. धर्मगुरु मौलाना कादरी और पाकिस्तान तहरीके इंसाफ के नेता इमरान खान के नेतृत्व में नवाज शरीफ सरकार के विरु द्ध कई दिनों से जोरदार प्रदर्शन जारी है. इस प्रदर्शन ने नवाज सरकार को काफी परेशानी में डाल दिया है क्योंकि पाकिस्तान की अवाम प्रदर्शन में बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रही है. ऐसा लगता है कि नवाज सरकार ने इस मुद्दे से पाकिस्तानी अवाम का ध्यान हटाने के लिए भारत की सीमाओं पर गोलीबारी शुरू करा दी, क्योंकि उन्हें पता है कि भारत जवाबी करवाई जरूर करेगा और फिर नवाज सरकार भारत द्वारा पाकिस्तान पर खतरा बता कर लोगों का ध्यान भटका देगी.

यह नवाज सरकार की अपनी कुरसी बचाने की कूटनीतिक चाल है. अरस्तू ने अपनी किताब पॉलिटिक्स में क्रांति से बचने के उपायों का वर्णन करते हुए कहा था- टू प्रिवेंट रेवॉल्यूशन, पैट्रियॉटिज्म शुड बी केप्ट ऐट फीवर पिच. पाकिस्तान की सरकार शायद वही नीति अपना रही है मगर नवाज सरकार को अरस्तू की यह बात भी याद रखनी चाहिए कि यू कैन फूल सम पीपल फॉर समटाइम, यू कैन फूल ऑल पीपल फॉर समटाइम, बन यू कैन नॉट फूल ऑल पीपल फॉर ऑल टाइम.

सादिया नूरी, रांची

Exit mobile version