राजनीतिक दावं-पेच में सेना को न घसीटें

सुकना भूमि घोटाले में लेफ्टिनेंट जनरल पीके रथ को सैन्य ट्रिब्यूनल द्वारा निदरेष करार दिये बाद पूर्व सेनाप्रमुख एवं अब केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह फिर से विवादों के घेरे में हैं. जनरल सिंह ने ही रथ के विरुद्ध कार्रवाई शुरू की थी, जिसमें उनका कोर्ट मार्शल कर घोटाले का दोषी ठहराया गया था. अब […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 7, 2014 11:48 PM

सुकना भूमि घोटाले में लेफ्टिनेंट जनरल पीके रथ को सैन्य ट्रिब्यूनल द्वारा निदरेष करार दिये बाद पूर्व सेनाप्रमुख एवं अब केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह फिर से विवादों के घेरे में हैं.

जनरल सिंह ने ही रथ के विरुद्ध कार्रवाई शुरू की थी, जिसमें उनका कोर्ट मार्शल कर घोटाले का दोषी ठहराया गया था. अब सैन्य ट्रिब्यूनल ने कहा है कि रथ को आरोपों के चलते बेमतलब परेशानी उठानी पड़ी और उनकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची है. लेफ्टिनेंट जनरल रथ ने अपनी अपील में सरकार एवं जनरल सिंह पर उन्हें फंसाने आरोप लगाते हुए कहा था कि यह प्रकरण जनरल सिंह के जन्मतिथि वाले मामले से जुड़ा था.

ट्रिब्यूनल ने कहा है कि सुकना भूमि के आवंटन में अनापत्ति पत्र देने के निर्णय में शामिल कुछ अधिकारियों को कोर्ट मार्शल में न सिर्फ कम सजा दी गयी, बल्कि तत्कालीन सेनाध्यक्ष (जनरल सिंह) ने उन्हें फैसले के बाद पदोन्नति भी दी. ट्रिब्यूनल के निर्णय से बौखलाये जनरल सिंह अब सरकार, जिसके वे हिस्सा हैं, से इसके विरुद्ध कानूनी पहल की मांग कर रहे हैं.

ऐसे में देश की निगाहें रक्षा मंत्री अरुण जेटली पर है, जो कानून विशेषज्ञ भी हैं. कर्तव्य के प्रति समर्पण और अनुशासन की दृष्टि से हमारी सेना देश का आदर्श है. लेकिन, सेनाध्यक्ष के रूप में जनरल सिंह का नाम कई ऐसे विवादों से जुड़ा, जिनसे सेना की छवि पर नकारात्मक असर पड़ा. दो जन्मतिथि वाले मुद्दे पर आसमान सिर पर उठानेवाले जनरल सिंह यह भूल गये थे कि इस देश में अगर एक चपरासी भी गलत सूचना देता है, तो उसकी नौकरी खतरे में पड़ जाती है.

सेना के बटालियन को राजधानी की ओर भेज कर सरकार को धमकी देने संबंधी खबरों पर उनका स्पष्टीकरण भी बहुत भरोसेमंद नहीं था. सेवानिवृत्ति के बाद भी उन्होंने कई ऐसे बेतुके बयान दिये हैं, जिनसे सेना की कार्यप्रणाली पर सवाल उठे. कभी उन्होंने कहा कि कश्मीर में सेना स्थानीय नेताओं को धन देती है, तो कभी नये सेनाध्यक्ष को डकैतों का सरगना बता दिया. इसलिए अब फैसले से सबक लेते हुए जनरल सिंह को आत्मालोचना करनी चाहिए. साथ ही, सेना को राजनीतिक दावंपेच से परे रखना जरूरी है, जनरल सिंह के साथ-साथ सरकार और सेना के अधिकारियों को भी यह बात दिलो-दिमाग में बिठा लेनी चाहिए.

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