सकारात्मक राजनीति की जरूरत

भारत का वैश्विक मान अगर कभी घटा है तो हमारे नेताओं के कार्यकलापों से, जो सदन के भीतर और बाहर वो करते आये हैं और जिसे विश्व भर में निंदित किया गया है. चाहे माइक फेंक कर मारने की बात हो, शोर-शराबे के बीच विधेयक पास करने की बात हो या अभद्र भाषा का प्रयोग […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 13, 2014 7:15 AM
भारत का वैश्विक मान अगर कभी घटा है तो हमारे नेताओं के कार्यकलापों से, जो सदन के भीतर और बाहर वो करते आये हैं और जिसे विश्व भर में निंदित किया गया है. चाहे माइक फेंक कर मारने की बात हो, शोर-शराबे के बीच विधेयक पास करने की बात हो या अभद्र भाषा का प्रयोग हो. इससे भारत की खराब छवि बनती है और ऐसा लगता है जैसे हमारे जनप्रतिनिधि राष्ट्रहित में कभी गंभीर नहीं होते और राजनीति को वे व्यवसाय मानते हों.
16वीं लोकसभा के सदस्यों का कामकाज और व्यवहार मॉनसून सत्र में तो बढ़िया रहा, संसद के आनेवाले सत्रों और सदन के बाहर भी ऐसा ही रहने की उम्मीद है. आशा है कि वे आगे भी सदन की कार्यवाही को सफलतापूर्वक चलाने में अपना हरसंभव योगदान देकर एक गरिमामय आदर्श स्थापित करेंगे और देश के विकास को प्राथमिकता देते हुए राजनैतिक संकीर्णता का प्रदर्शन नहीं करेंगे. आज देश को अपनी विकास-गति को बढ़ाने के लिए ईमानदार प्रयास की जरूरत है जिसका दायित्व जनता ने अपने सांसदों को दिया है. आज अंगरेजों को देश छोड़े इतने वर्ष बीत जाने के बाद भी अगर हम बुनियादी जरूरतों के लिए तरसें, तो निश्चित रूप से यह इंगित करता है कि अभी तक विकास की राजनीति नहीं हुई है, बल्कि सत्ता के लिए रणनीति बनायी गयी है.
अब विश्व-स्तर पर अपना नाम करने के लिए और लोगों की जीवन-स्थिति में सुधार के लिए कमर कसनी पड़ेगा. किसी भी संकीर्णतावाद में न पड़ कर विकास के लिए सबको साथ खड़े होने की जरूरत है. हम सब भारत को आदर्श देश बनाने का संकल्प लें. ओछी राजनीति के दिन अब लदने चाहिए और स्वच्छ और आदर्श राजनीति स्थापित हो.
रवींद्र पाठक, ई-मेल से

Next Article

Exit mobile version