झारखंड में आज संविदा कर्मियों की स्थिति किसी से छिपी नहीं है. न सरकार और न अधिकारियों को ही इसकी कोई सुधि है. उच्च योग्यातधारी एवं तकनीकी क्षेत्र में दक्ष इन संविदा कर्मियों को नियमित कर्मचारियों के विरुद्घ आधे से भी कम मानेदय पर कार्य करने पर विवश होना पड़ता है. यही नहीं, मानेदय का भुगतान भी समय पर नहीं होता है. कभी-कभी तो मानदेय साल भर बाद दिया जाता है.
उच्चधिकारी उन पैसों का सूद खाते हैं. सरकार इन संविदा कर्मियों और उनके परिवार के प्रति काफी असंवेदशील है. हमारे राज्य में हर विभाग को मिलाकर संविदा कर्मियों की संख्या लाखों में है, जिनके बिना पूरा सिस्टम ठप पड़ जायेगा. झारखंड सरकार को अपनी संवेदनशीलता दिखाते हुए झारखंड के तमाम संविदा कर्मियों के मानदेय वृद्धि व नियमित करने के बारे में ठोस फैसला लेना चाहिए.
देवेंद्र कु पंडित, गोड्डा