बड़े घोटाले की छोटी झलक तो नहीं यह!
सन 2008 में भारत सरकार के श्रम मंत्रालय ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना (आरएसबीवाइ) शुरू की. इसका मकसद है, असंगठित क्षेत्र के, गरीबी रेखा के नीचे रहनेवाले कामगारों को अपने और अपने परिवार के सदस्यों के इलाज के खर्च की चिंता से मुक्त करना. इस योजना के तहत एक परिवार साल में 30 हजार रुपये […]
सन 2008 में भारत सरकार के श्रम मंत्रालय ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना (आरएसबीवाइ) शुरू की. इसका मकसद है, असंगठित क्षेत्र के, गरीबी रेखा के नीचे रहनेवाले कामगारों को अपने और अपने परिवार के सदस्यों के इलाज के खर्च की चिंता से मुक्त करना.
इस योजना के तहत एक परिवार साल में 30 हजार रुपये तक का इलाज करा सकता है. इसके लिए कामगार को एक स्मार्ट कार्ड दिया जाता है, जिसके जरिये वह अपना और अपने परिवार का सूचीबद्ध अस्पतालों में नकदमुक्त (कैशलेस) इलाज करा सकता है. इस सूची में सरकारी के साथ निजी अस्पताल भी शामिल हैं. लेकिन, कई निजी अस्पतालों ने इस कल्याणकारी योजना को सरकारी खजाना लूटने का जरिया बना लिया है.
झारखंड के लातेहार जिले से जो खबर आयी है, वह चौंकाने वाली है. वहां कुछ अस्पताल सिर्फ इस योजना के पैसे की लूट के लिए खुल गये हैं. इनमें न डॉक्टर हैं, न अन्य चिकित्साकर्मी. सिर्फ अस्पताल का बोर्ड टांग कर और कुछ बिस्तर लगा कर बड़ी रकम की हेराफेरी की जा रही है. मसलन, सर्दी-बुखार का इलाज किया गया और दिखाया गया भगंदर का ऑपरेशन. इसके लिए सूचीबद्ध अस्पताल को सरकार से 11,250 रुपये मिले. ऐसे अनेक मामले हैं. चालू वित्तीय वर्ष में, लातेहार में सिर्फ 592 मरीजों का इलाज हुआ है और बदले में 30 लाख रुपये का दावा अस्पतालों की ओर से किया जा चुका है.
यानी प्रति व्यक्ति पांच हजार रुपये से ज्यादा का खर्च दिखाया गया. यह यकीन के काबिल नहीं है. अब सवाल है कि क्या यह गड़बड़झाला सिर्फ लातेहार तक सीमित है या इसका विस्तार झारखंड या कहें कि पूरे देश में है? इस बात का शक करने के पुख्ता आधार मौजूद हैं कि यह अकेले लातेहार में नहीं हो रहा होगा. 25 मार्च 2013 तक, इस योजना के तहत लगभग 3.50 करोड़ स्मार्ट कार्ड थे और 50 लाख से अधिक लोग अस्पताल में भरती हुए थे. अगर लातेहार की तर्ज पर देश भर में हेराफेरी हो रही होगी, तो कितने का घोटाला हो चुका होगा, इसकी कल्पना की जा सकती है. इसलिए, झारखंड और भारत सरकार को लातेहार मामले की अविलंब जांच करानी चाहिए. इसे एक बड़े घोटाले की झलकी भर मान कर चलना चाहिए.