झारखंड की अनदेखी कहीं से जायज नहीं

राज्य में रेल परियोजनाओं की स्थिति काफी दयनीय है. कई महत्वपूर्ण योजनाएं वर्षों से लंबित हैं. इन परियोजनाओं में लगातार हो रहे विलंब से झारखंड को करोड़ों रुपये का आर्थिक नुकसान हो रहा है. इसके लिए राज्य सरकार ने केंद्र को जिम्मेवार माना है. राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अरुणेंद्र […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 17, 2014 5:19 AM

राज्य में रेल परियोजनाओं की स्थिति काफी दयनीय है. कई महत्वपूर्ण योजनाएं वर्षों से लंबित हैं. इन परियोजनाओं में लगातार हो रहे विलंब से झारखंड को करोड़ों रुपये का आर्थिक नुकसान हो रहा है. इसके लिए राज्य सरकार ने केंद्र को जिम्मेवार माना है.

राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अरुणेंद्र कुमार के साथ हुई बैठक में इस बात को लेकर अपनी नाराजगी भी जतायी. कहा : अगर बोर्ड इस पर गौर नहीं करेगा, तो वे इसकी शिकायत प्रधानमंत्री से करेंगे. समय पर काम पूरा नहीं होने से परियोजनाओं की लागत लगातार बढ़ती जा रही है, नुकसान हो रहा है अलग से. इससे यह साफ होता है कि रेलवे बोर्ड झारखंड की परियोजनाओं को लेकर गंभीर नहीं है. वहीं रेलवे का कहना है कि जमीन अधिग्रहण को लेकर परियोजनाओं में अड़चनें आ रही हैं.

अगर राज्य सरकार जमीन मुहैया करा दे, तो काम में तेजी आयेगी. खैर मामला चाहे जो भी हो , भुगतना तो झारखंड को ही पड़ रहा है. राज्य सरकार 585 किलोमीटर रेल मार्ग की छह योजनाओं के लिए पहले ही रेलवे को दो हजार करोड़ रुपये दे चुकी है. आश्चर्य है, बावजूद इसके रेलवे ने अबतक मात्र 365 किलोमीटर रेल मार्ग ही बनाया. यानी रेलवे ने समय पर इन योजनाओं को पूरा नहीं किया. अब स्थिति यह है कि इन परिजयोजनाओं की लागत बढ़ कर छह हजार करोड़ रुपये हो चुकी है.

मुख्यमंत्री ने रेलवे की इस लेट लतीफी कार्यप्रणाली पर कड़ा एतराज जताया है. और हो भी क्यों न. जब समय पर पैसा दिया, तो काम भी समय पर हो, यह देखना होगा. जरा सोचिए, आपने किसी को किसी काम के लिए कुछ पैसे दिये हों और वो समय पर काम न करे और टालमटोल करे, तो आपको कैसा लगेगा. वैसी परिस्थिति में आप क्या करंेगे. निश्चय ही आप अपनी कूबत के अनुसार कार्रवाई करेंगे.

यहीं काम राज्य के मुख्यमंत्री को करना चाहिए और वे कर भी रहे हैं. उन्होंने रेलवे बोर्ड के चैयरमैन को बड़े ही स्पष्ट शब्दों में कहा है कि बढ़ी लागत का बोझ केंद्र सरकार वहन करे और अगर ऐसा नहीं होगा, तो इसकी शिकायत प्रधानमंत्री से की जायेगी. झारखंड से रेलवे को रेवन्यू के रूप में करोड़ों रुपये मिलते हैं. ऐसे में झारखंड की अनदेखी कहीं से जायज नहीं है. केंद्र को प्राथमिकता के आधार पर इन परियोजनाओं को पूरा करना चाहिए.

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