Loading election data...

फिर से पढ़ायें नैतिकता का पाठ

आज देश में भ्रष्टाचार, अत्याचार, यौन दुराचार जैसी बुराइयों की लंबी सूची है, जो चहुंओर बलवती है. इन बुराइयों में लिप्त लोगों को सभी दंड देना चाह रहे हैं. अपराध को कम करने के लिए कानून के हाथ और लंबे करने पर विमर्श चल रहा है. यह चाहत, मांग और विमर्श अपनी जगह सही है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 23, 2014 3:48 AM

आज देश में भ्रष्टाचार, अत्याचार, यौन दुराचार जैसी बुराइयों की लंबी सूची है, जो चहुंओर बलवती है. इन बुराइयों में लिप्त लोगों को सभी दंड देना चाह रहे हैं. अपराध को कम करने के लिए कानून के हाथ और लंबे करने पर विमर्श चल रहा है. यह चाहत, मांग और विमर्श अपनी जगह सही है.

दुष्टों को दंड मिलना ही चाहिए, लेकिन, इसके बाद भी ये बुराइयां कम होंगी क्या? इस बात को लेकर शंका है. ऐसे में विचार आता है कि भारत जैसे सांस्कृतिक राष्ट्र में ये टुच्ची बुराइयां इतनी विकराल कैसे होती जा रही हैं? कमी कहां हो रही है? दरअसल, इसका मूल कारण नैतिक मूल्यों का पतन है. जब हमारी आत्मा गलत और सही में भेद बताना भूल जाये, तो मनुष्य किसकी सुनेगा? आज मनुष्य को मनुष्य नहीं, पैसा कमाने वाला रोबोट बनाया जा रहा है. इसके लिए स्कूलों में नैतिक शिक्षा की नियमित कक्षाएं होनी चाहिए.

संजय मेहता, बरही, हजारीबाग

Next Article

Exit mobile version