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न अल कायदा न अल फायदा

।। जावेद इस्लाम ।। (प्रभात खबर, रांची) अच्छी बात किसे अच्छी नहीं लगती और बुरी बात, किसे बुरी नहीं लगती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने मुसलमानों की देशभक्ति पर अपना 56 इंच सीनावाला सुवचन बोल कर उनका सीना भी चौड़ा कर दिया है. इतना कि हमारे रहीम चाचा सहित सारे हिंदुस्तानी मुसलमान उनका तहेदिल […]

।। जावेद इस्लाम ।।

(प्रभात खबर, रांची)

अच्छी बात किसे अच्छी नहीं लगती और बुरी बात, किसे बुरी नहीं लगती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने मुसलमानों की देशभक्ति पर अपना 56 इंच सीनावाला सुवचन बोल कर उनका सीना भी चौड़ा कर दिया है. इतना कि हमारे रहीम चाचा सहित सारे हिंदुस्तानी मुसलमान उनका तहेदिल से अहसानमंद होना चाह रहे हैं. मगर, रहीम चाचा को एक बात अब भी पल्ले नहीं पड़ रही है कि आखिर भारतीय मुसलमानों की वतनपरस्ती पर पहले किसे शको-शुब्ह रहा है.

संघ परिवार की विचारधारा में बहने वालों को छोड़ कर प्रधानमंत्री मोदी ने किसे आश्वस्त करने के लिए ये सुवचन कहे? हो सकता है उन्होंने यह अल कायदा या इसलामिक स्टेट वालों को चेतावनी के बतौर कहा हो. मगर इन आततायी संगठनों के कुढ़मगज जेहादियों को यह चेतावनी समझ में नहीं आयेगी. उल्टे वे इसे चुनौती समझ लें तो? अल कायदा को चेताया अच्छा किया, लगे हाथ थोड़ा अल फायदा वालों को भी चेता देते.

अल फायदा से मेरा मतलब उन अगियाबैताल संगठनों से है, जिसने मोदी को प्रधानमंत्री बनाने में बड़ा फायदा पहुंचाया और अब अपने मकसद के लिए जम कर फायदा उठाने में लगे हैं. अब ह्यलव जिहादह्ण के नाम पर उनके पास नया हथियार आ गया है. हालांकि यूपी के उपचुनाव में उनका यह हथियार फुस्स हो गया. उनकी हरकतों से अल कायदा व इसलामिक स्टेट वालों को भी तो फायदा उठाने का मौका और बहाना मिल जाता है. वे अपने संगठन को ग्लोबल बनाने व हिंदुस्तान में भी जेहादी भरती करने के फेर में हैं.

पता नहीं प्रधानमंत्री जी को अल फायदा वालों की हरकतें दिखाई-सुनाई पड़ती हैं भी या नहीं. क्योंकि उनके मुखारबिंद से इन हरकतों पर कोई सुवचन कहते नहीं सुना गया. मगर गृहमंत्री जी के कान तो और भी कमाल के हैं. वे जिहाद को तो खूब सुनते हैं, पर लव जिहाद क्या है, वह जानते ही नहीं हैं. उन्होंने ने भी एक साक्षात्कार में स्वीकार किया कि भारतीय मुसलमानों को यहां के लोकतंत्र व विविधतापूर्ण समाज पर गर्व है. अच्छी बात है, पर हुजूर अपने उन जटाजूट संगठनों को भी तो यह समझाइए जो विविध रंगोंवाले हिंदुस्तान को केवल एकरंगा हिंदुस्थान बनाने के सपने देखते रहते हैं.

प्रधानमंत्री जी और गृहमंत्री जी को अपने इन सुवचनों पर वाकई आस्था है, तो उन्हें विविधतापूर्ण भारत के लिए ह्यनागपुरह्ण से भी दो-दो हाथ करना पड़ेगा. नहीं तो यही समझा जायेगा कि आप द्विभाषा फार्मूला पर काम कर रहे हैं. हस्तिनापुर में एक भाषा में बात करनी है और नागपुर में दूसरी भाषा में. हां, अल जवाहिरी का घातक दर्शन भारत के लिए खतरा है, जिससे हम धर्मनिरपेक्ष दर्शन से ही मुकाबला कर सकते हैं. धर्मनिरपेक्षता से चिढ़ कर नहीं, इससे किसको फायदा पहुंचाना है, यह सब जानते हैं. मोदी जी व राजनाथ जी अपनी सोच का विस्तार करें, तो बेहतर है.

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