फैशन जो चलता है रोके नहीं रुकता
अजय पांडेय प्रभात खबर, गया अपने यहां प्रचलन को ही ‘फैशन’ कहा जाता है. यह जब जोर पकड़ता है, तो बेकाबू हो जाता है. फैशन को अपनानेवाले आगे-पीछे की नहीं सोचते. उसकी अच्छाई-बुराई पर ध्यान नहीं देते. परिणाम तक ध्यान में नहीं रखते. बस, ‘फैशनांधता’ में चूर होकर कुछ भी करने पर उतारू रहते हैं. […]
अजय पांडेय
प्रभात खबर, गया
अपने यहां प्रचलन को ही ‘फैशन’ कहा जाता है. यह जब जोर पकड़ता है, तो बेकाबू हो जाता है. फैशन को अपनानेवाले आगे-पीछे की नहीं सोचते. उसकी अच्छाई-बुराई पर ध्यान नहीं देते. परिणाम तक ध्यान में नहीं रखते.
बस, ‘फैशनांधता’ में चूर होकर कुछ भी करने पर उतारू रहते हैं. हालांकि, कोई भी फैशन चिरंजीवी नहीं होता. लेकिन, यह अपने समय में चरम पर होता है. हर गली-मुहल्ले व चौक-चौराहे व सड़क पर उसका परिदर्शन हो ही जाता है. छोटे-बड़े सभी उसके शिकार. जिसकी जैसी औकात, उसे अपना लेता है. अभी एक दौर है-अपनी बात मनवाने के लिए किसी अधिकारी या जनप्रतिनिधि को बंधक बनाने का.
कभी बीडीओ को बंधक बना लिया, तो कभी विधायक को घेर लिया. अब तो डीएम भी नहीं बख्शे जा रहे. अखबारों में भी ऐसी खबरें खूब छप रही हैं. चार ऐसी घटनाओं को तो मैंने ही देखा-पढ़ा है. मेरे और भी साथियों ने ऐसी खबरों पर चर्चा की. पहली खबर आयी थी सासाराम से. सदर अंचल के सीओ को कुछ छात्रों ने बंधक बना लिया. कारण क्या था- आरटीपीएस कार्यालय में काउंटर नहीं बढ़ाये जा रहे थे. दूसरी खबर औरंगाबाद से थी. नहर में पानी नहीं छोड़े जाने से गुस्साये किसानों ने गोह प्रखंड के बीडीओ, सीओ व कार्यालय के सभी कर्मचारियों को बंधक बना लिया.
तीसरी खबर भी औरंगाबाद से ही थी. इसमें नवीनगर के सीओ के साथ मारपीट का जिक्र था. कारण इतना भर था कि एक व्यक्ति उनके कार्यालय में आवासीय प्रमाणपत्र बनवाने आया था, लेकिन तकनीकी खराबी होने के कारण सीओ ने उसे अगले दिन आने को कह दिया. हद तो तब हो गयी, जब खबर सामने आयी कि दुर्गावती जलाशय परियोजना से कुदरा-पुसौली नदी में पानी छोड़े जाने के विरोध में लोगों ने रोहतास के डीएम, मुख्य अभियंता व एसडीओ को घंटों बंधक बनाये रखा.
दरअसल, जब कोई फैशन अस्तित्व में आता है, तो वह किसी दूसरे की जगह लेता है. मांगों को पूरा करने के लिए पदाधिकारियों को बंधक बनाने का यह दौर सड़क जाम करने के फैशन को पददलित करके आया है. हालांकि, सड़क जाम करने का फैशन अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है. बिजली, पानी, मिड-डे मील, सड़क, अस्पताल आदि को लेकर सड़क जाम करने की खबर आती रहती है.
लेकिन, हाल में अधिकारियों को बंधक बनाने का जो दौर शुरू हुआ है, उसे लोग धड़ल्ले से अपना रहे हैं. फैशन ट्रेंड के विश्लेषकों का कहना है कि अधिकारी गुहार लगाने पर सुनते ही नहीं हैं. इसका लोगों ने विरोध किया. सड़क जाम करना शुरू किया गया. लेकिन, अधिकारियों ने इसे हलके में लिया. दो-चार अधिकारी मौके पर गये, समझा-बुझा कर चले गये. मजबूरी में लोगों को पदाधिकारियों को बंधक बनाने का ट्रेंड अपनाना पड़ा. अब देखिये, यह कितना हिट हो गया. लोग इसे हाथोंहाथ अपना रहे हैं.