77 पर गिर ही गया ‘सचिन’ का विकेट
‘49 रन बना कर नॉट आउट हैं सचिन तेंडुलकर. अब देखना है कि क्या वे अपना अर्धशतक पूरा कर पाते हैं? ये देखिए, एक रन के लिए दौड़ पड़े हैं सचिन. और ये पूरा हुआ उनका अर्धशतक.’ आप सोच रहे होंगे कि बिन मौसम बरसात कैसे हो रही है? सचिन ने जब संन्यास ले लिया, […]
‘49 रन बना कर नॉट आउट हैं सचिन तेंडुलकर. अब देखना है कि क्या वे अपना अर्धशतक पूरा कर पाते हैं? ये देखिए, एक रन के लिए दौड़ पड़े हैं सचिन. और ये पूरा हुआ उनका अर्धशतक.’ आप सोच रहे होंगे कि बिन मौसम बरसात कैसे हो रही है? सचिन ने जब संन्यास ले लिया, तो फिर वह अर्धशतक कैसे बना रहे हैं? दरअसल यहां सचिन का प्रयोग उन स्पीड ब्रेकरों के लिए किया गया है, जो नवादा की मुख्य सड़क से काकोलत जल प्रपात जाने के रास्ते में मिलते हैं. जितनी लंबाई क्रिकेट के पिच की होती है, उतनी ही दूरी पर यहां स्पीड ब्रेकर मिलते हैं.
फर्क बस इतना है कि पिच पूरी तरह सपाट होती है, लेकिन स्पीड ब्रेकर की पिच किसी टूटे-फूटे कैरम बोर्ड की तरह थी, जिसमें केवल चार कोनों पर ही गड्ढे नहीं थे, बल्कि इसकी पूरी सतह पर फैले थे. पहले तो हमने उसे खूब कोसा जिसने कदम-कदम पर स्पीड ब्रेकर बनाये थे. ड्राइवर का गुस्सा तो उतरने का नाम ही नहीं ले रहा था. अंत में सबने निर्णय किया कि क्यों न इसका भी मजा लिया जाये, ताकि पिकनिक में कोई बुरी याद न जुड़े. इसलिए हमारी टीम के एक सदस्य ने स्पीड ब्रेकर को सचिन तेंडुलकर का नाम दे दिया.
सड़क को पिच बना दिया और यात्र को क्रिकेट मैच. गाड़ी में बैठे लोग दर्शक बन गये. अब जितने भी स्पीड ब्रेकर आये, सचिन के खाते में एक-एक रन का इजाफा हो जाये. सबने सचिन के रन गिनने शुरू कर दिये. स्कोर पचास को भी पार गया, लेकिन सचिन नॉट आउट ही थे. बढ़ते-बढ़ते वे पहले 60 और फिर 70 के स्कोर को भी पार कर गये. अब भी सचिन नॉट आउट थे. सच में लिटिल मास्टर ने साबित कर दिया था कि वे मास्टर ब्लास्टर ही हैं. यहां बस दो चीजों की कमी थी, चौके और छक्के की. स्कोर केवल एक-एक रन से आगे बढ़ रहा था.
यूं कहें कि यह एक टेस्ट मैच था, जिसमें एक-एक करके ही सही, लेकिन लगातार रन बन रहे थे. आखिरकार 77 रनों के व्यक्तिगत स्कोर पर पहुंच कर सचिन का विकेट गिरा और शायद ऐसा पहली बार हुआ कि सचिन के आउट होने पर दर्शक दु:खी नहीं हुए, बल्कि उनका चेहरा खुशी से खिल उठा. खैर, सचिन के ही बहाने एक ऐसा रास्ता बातों-बातों में कट गया, जो एकदम रुला देनेवाला था. काकोलत जल प्रपात का रास्ता शुरू होते ही बिहार पर्यटन विभाग के बोर्ड पर लिखा मिला, ‘काकोलत जल प्रपात में आपका स्वागत है.’ यह स्वागत इतना जबरदस्त था कि बोर्ड पढ़ कर दो कदम आगे बढ़ने के बाद ही गाड़ी हिचकोले खाते हुए एक पल के लिए बुरी तरह से हिल गयी. पता चला कि सड़क में एक बड़ा गड्ढा था. स्पीड ब्रेकर का साथ बड़े-बड़े गड्ढे दे रहे थे, जो अपनी दादागीरी जताते हुए बता रहे थे कि यहां सड़कों की वजह से उनका अस्तित्व नहीं, बल्कि उनकी वजह से सड़कों का अस्तित्व है. पर्यटन विभाग को हमें क्रिकेट मैच दिखाने के लिए कोटि-कोटि धन्यवाद.
शैलेश कुमार
प्रभात खबर, पटना
shaileshfeatures@gmail.com