ऐसे ही चलता रहेगा झारखंड
झारखंड राज्य बने महज 14 साल हुए हैं और कई मुख्यमंत्रियों के कार्यकाल में कई दागी मंत्रियों को जनता देख चुकी है. राज्य के मंत्री और नेता माफिया, ठेकेदारों और दलालों से मिल कर करोड़ों के वारे-न्यारे करते हैं. यह तो मीडिया है जिसकी वजह से कभी-कभार ऐसे मामले उभर आते हैं, वरना राजनीतिक गलियारे […]
झारखंड राज्य बने महज 14 साल हुए हैं और कई मुख्यमंत्रियों के कार्यकाल में कई दागी मंत्रियों को जनता देख चुकी है. राज्य के मंत्री और नेता माफिया, ठेकेदारों और दलालों से मिल कर करोड़ों के वारे-न्यारे करते हैं. यह तो मीडिया है जिसकी वजह से कभी-कभार ऐसे मामले उभर आते हैं, वरना राजनीतिक गलियारे में ऐसी सांठगांठ रोज होती है और जम कर कमीशनखोरी होती है. कभी कोई नेता नक्सलियों को शरण देता पाया जाता है तो कोई किसी हत्यारे को संरक्षण देता है. दाग अच्छे हैं और दागी को इसकी परवाह नहीं.
प्रदेश को सत्ताधारी नेता-मंत्री भले ही न चमका सकें, लेकिन जनता को चकमा देकर सफेद कुरते-पायजामे के ऊपर अपने काले चेहरे को उन्होंने बखूबी चमका लिया है. नैतिकता तो इनमें बची नहीं है कि इस्तीफा देंगे. किसी मंत्री के बदौलत रंजीत उर्फ रकीबुल सात प्रतिशत कमीशन पर करोड़ों कमा सकता है तो सोचिए कि मंत्रीजी के कितने करोड़ बनते होंगे! यह झारखंड है जहां काजू की खेती को आलू की खेती बता कर बजट का बंदरबांट हो जाता है. अधिकारी और मंत्री लाखों-करोड़ों हजम कर जाते हैं और पता भी नहीं चलता है क्योंकि इन्हें हाजमे की शिकायत तो कभी हुई नहीं.
अच्छा है, झारखंड बनने का फायदा किसी को तो हुआ. जनता तो ऐसे भी सताये जाने के लिए ही होती है. वरना साइकिल पर चलनेवालों को स्कॉर्पियो कहां से नसीब होती. अलग राज्य बनने के बाद केवल दलालों-नेताओं के ही तो दिन बहुरे हैं. रह-रह कर स्थानीयता के मुद्दे को राजनीतिक मजबूरी के ही तहत हवा दी जाती है, वरना यहां के नेता किसी के सगे नहीं. जो हो, राज्य ऐसे ही चल रहा है और ऐसे ही चलता रहेगा.
संतोष कुमार, देवघर