मंत्रियों की कमजोरी को ढाल नहीं बनायें नौकरशाह

श्रम मंत्री केएन त्रिपाठी ने कहा रांची : राज्य के श्रम मंत्री केएन त्रिपाठी ने कहा है कि अधिकारियों की लापरवाही से केंद्र प्रायोजित योजनाओं का लाभ झारखंड के गरीबों को नहीं मिल पा रहा है. प्रभात खबर संवाददाता से बातचीत के क्रम में श्री त्रिपाठी ने कहा कि जब से उन्होंने मंत्रिपद संभाला है, […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 30, 2014 6:22 AM
श्रम मंत्री केएन त्रिपाठी ने कहा
रांची : राज्य के श्रम मंत्री केएन त्रिपाठी ने कहा है कि अधिकारियों की लापरवाही से केंद्र प्रायोजित योजनाओं का लाभ झारखंड के गरीबों को नहीं मिल पा रहा है. प्रभात खबर संवाददाता से बातचीत के क्रम में श्री त्रिपाठी ने कहा कि जब से उन्होंने मंत्रिपद संभाला है, तब से सभी जिलों को बीआरजीएफ की राशि दे दी गयी है. 13 वें वित्त आयोग की राशि की नियमित समीक्षा और अनुश्रवण किया जा रहा है.
75 फीसदी राशि इसमें अब तक खर्च हो चुकी है. उन्होंने नौकरशाहों से हद में रहने की बात भी कही. उनका कहना है कि नौकरशाह किसी मंत्री की कमजोरी की आड़ में लोकतांत्रिक और राजनीतिक नेतृत्व का शासन नहीं चलने दे रहे हैं. प्रस्तुत है बातचीत के अंश.
नौकरशाह झारखंड में हमेशा से हावी रहे हैं, इस पर सरकार क्या कर रही है?
जवाब : झारखंड बनने के बाद नौकरशाहों ने मंत्रियों की व्यक्तिगत कमजोरियों को ढाल बना लिया है, जो गलत है. इससे वे अपने अनुसार अपना शासन चला रहे हैं. झारखंड को इससे अपेक्षित प्रगति नहीं मिल पायी.
केंद्र की राशि का समुचित खर्च नहीं होने के लिए जिम्मेवार कौन है?
जवाब : इसके लिए अधिकारी दोषी हैं. पिछले वित्तीय वर्ष में बीआरजीएफ का 640 करोड़ लैप्स हो गया. अधिकारी यह पैसा ले ही नहीं सके. क्योंकि सभी जिलों में जिला स्तरीय कमेटी की बैठक पिछली सरकार ने करायी ही नहीं. अब कुछ को छोड़ कर सभी जिलों में यह बैठक हो चुकी है. बीआरजीएफ की राशि भी जिलों को भेजी जा रही है. यह पैसा पूरी तरह पिछड़े क्षेत्र के विकास से संबंधित है.
इंदिरा आवास का केंद्र ने कोटा घटा दिया. आप क्या कर रहे हैं?
जवाब: इंदिरा आवास योजना में अधिकारियों की गलती से पिछले वित्तीय वर्ष में 21 करोड़ लैप्स कर गया. मैं बार-बार अधिकारियों के ऊपर जवाबदेही तय करने की बातें करता रहा, लेकिन किसी ने नहीं सुनी. अब केंद्र ने 79000 आवास की जगह 49 हजार आवास तय किये हैं.
राज्य में मनरेगा का क्या हाल है?
जवाब : मनरेगा की स्थिति सही नहीं है. 35 सौ करोड़ रुपये की योजना मैंने स्वीकृत की थी. उसमें से सिर्फ 550 करोड़ ही खर्च हो सके हैं. अब मनरेगा मजदूरों के भुगतान का पैसा नहीं है. मनरेगा के मजदूरों को तत्काल भुगतान करने के लिए मैंने मुख्यमंत्री से पांच सौ करोड़ के रिवॉल्विंग फंड की मांग की है. केंद्र सरकार से 754 करोड़ रुपये की मांग की है. मनरेगा को भी पटरी पर लाने के लिए दोषी अधिकारियों, पदाधिकारियों पर कार्रवाई के लिए लिखा है. मनरेगा में भ्रष्टाचार में शामिल अधिकारियों पर कार्रवाई की जायेगी. मेरी जानकारी में है कि भ्रष्टाचारियों को विभागीय पदाधिकारी ही बचा रहे हैं.
राज्य से श्रमिकों का पलायन बड़ी समस्या है. इसे कैसे रोकेंगे?
जवाब : झारखंड से श्रमिकों का पलायन एक बड़ी समस्या है. इसे रोकने की दिशा में कार्रवाई की जा रही है. पलायन रोकने के लिए तीन वर्ष की व्यापक योजना बनायी गयी है. 2015-16 से 10 लाख लोगों को अगले पांच वर्ष में प्रशिक्षण दिया जायेगा. प्रशिक्षित उम्मीदवारों को बैंकों से ब्याज मुक्त ऋण देने की भी व्यवस्था की गयी है.
पेंशन योजनाओं में क्या पारदर्शिता आयी है?
जवाब : हां, अब पारदर्शिता आ गयी है. अब 10.50 लाख में से 8.75 लाख लाभुकों को ऑनलाइन पेंशन की सुविधा मिल रही है. मैंने जब मंत्री का पद ग्रहण किया था. उस समय मात्र 5.50 लाख लाभुकों को ही पेंशन का लाभ मिल रहा था. अब गैर बीपीएल परिवार और बीपीएल परिवार को असाध्य रोगों के इलाज के लिए डेढ़ लाख रुपये तक दिये जायेंगे. गैर बीपीएल और बीपीएल परिवारों में जन्म लेनेवाली बेटियों के लिए सरस्वती योजना शुरू की है. इसमें पांच वर्षो में 25 हजार रुपये लाभुकों के खाते में जमा किये जायेंगे.

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