पिछले दिनों मीडिया में उछला तारा शाहदेव प्रकरण किस रूप में याद किया जायेगा? महिला उत्पीड़न के खिलाफ आवाज या व्यवस्था की मिलीभगत से चल रहा गंदा खेल! दोनों भले ही अलग-अलग चीजें हों, लेकिन इनका प्रभाव इस समाज पर गहरा पड़ता है. यहां मुद्दा सिर्फ एक है कि समाज और सामाजिक विकास की रक्षा करने की जिम्मेवारी जिन हाथों को सौंपी गयी थी, वही इसे तार-तार करने पर आमादा हैं.
खैर, मामला अब शांत है और प्रशासन अपना काम कर रहा है, लेकिन अब देखना यह है कि इन असमाजिक, अनैतिक और स्वार्थी लोगों और उनके मददगारों को सरकार किस हद तक रोक पाती है. जनता को व्यवस्था से आशाएं हैं. इस प्रकरण को उसके सही अंजाम तक पहुंचा कर जनता की नजर में ‘व्यवस्था’ का सम्मान बरकरार रखना होगा.
विपुल तमेड़ा, लोहरदगा