।। जावेद इस्लाम ।।
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चकाचक इंडिया और एक अपवाद
।। जावेद इस्लाम ।। (प्रभात खबर, रांची) मिशन चकाचक इंडिया यानी स्वच्छता अभियान चालू आहे. टीवी में देश के प्रधान सेवक से लेकर लोक और ग्राम सेवक तक झाड़ू चलाते नजर आ रहे हैं. टीवी के बाहर भी सैकड़ों-हजारों स्वच्छतानुरागी गली-नुक्कड़ में, चौक -चौराहों पर, दफ्तरों के लॉन में ह्यप्रगट भयो कृपालाह्ण की तर्ज पर […]
(प्रभात खबर, रांची)
मिशन चकाचक इंडिया यानी स्वच्छता अभियान चालू आहे. टीवी में देश के प्रधान सेवक से लेकर लोक और ग्राम सेवक तक झाड़ू चलाते नजर आ रहे हैं. टीवी के बाहर भी सैकड़ों-हजारों स्वच्छतानुरागी गली-नुक्कड़ में, चौक -चौराहों पर, दफ्तरों के लॉन में ह्यप्रगट भयो कृपालाह्ण की तर्ज पर प्रगट हो गये हैं. इनके चेहरे से सफाई को लेकर जो श्रद्धा और लगन चू रही है, उसे देख कर लग रहा है कि यह अभियान जरूर रंग लायेगा.
जल्दी से जल्दी और चोखा. इसके लिए ईश्वर से प्रार्थना या कामना करने की भी जरूरत नहीं. मुझे पूरा यकीन है कि अब जबकि लोग पूजा के मेले-ठेले से, प्रतिमा विसर्जन से फारिग हो चुके हैं, तो हमारे आसपास स्वच्छता की ऐसी छटा बिखरेगी कि हम देख कर दंग रह जायेंगे. अगर आप कहीं बाहर गये हैं, तो कुछ दिन बाद लौटने पर हो सकता है कि आप अपनी गली-मोहल्ला न पहचान पायें और आपको अपना ही पता पूछना पड़ जाये.
गांव-टोला, शहर-कस्बा, अस्पताल-स्कूल-थाना-कचहरी सब चकाचक! बड़े-बड़े नेताओं-अभिनेताओं, अधिकारियों-कर्मचारियों, जनसेवकों-धनसेवकों के झाड़ू लेकर सड़क पर उतरने का नतीजा इससे कम क्या होना चाहिए? जैसे हर नियम के कुछ अपवाद होते हैं, इस महती मिशन में भी कोई अपवाद दिखे, तो कृपया प्रतिकूल टिप्पणी करने का कुफ्र न करें तो अच्छा. एक अपवाद से पाला श्रीराम चाचा का भी पड़ा.
एक सरकारी दफ्तर. अधिकारी-कर्मचारी सब मिशन के मूड में. सबके हाथों में नये-नवेले झाड़ू. बस प्रेसवालों का इंतजार (पत्रकार अभी आये-अभी आये कह कर इंतजार करा रहे थे. बेचारे करते भी क्या, उन्हें कवरेज के लिए कई संस्थानों से न्योता मिला हुआ था). दफ्तर की सफाई कर्मी ने सुबह-सवेरे ही झाड़ू-बुहारू कर दी थी. और अभी साहबों के हाथ में झाड़ू देख कर उसका कलेजा फुंक रहा था. साहब लोग झाड़ू इस अंदाज में थामे हुए थे मानो वह हॉकी हो और पेनाल्टी शूट करने जा रहे हों. तभी मीडियावाले धड़ाधड़ पहुंचे. सारे साहब बिना लाइट… साउंड… कैमरा… के निर्देश के तुरंत एक्शन में आ गये.
फोटोग्राफरों ने मामूल के मुताबिक दृश्य को सजाया. बॉस बीच में. बाकी अमला अगल-बगल. तभी बॉस को ख्याल आया कि झाड़ू के आगे तो कचरा है ही नहीं. फौरन सफाई कर्मी से पिछवाड़े से कुछ कचरा मंगाया गया और झाड़ुओं के आगे डाल दिया गया. तुरंत सीन ओके हो गया. किसी रीटेक की जरूरत नहीं पड़ी. इस तरह मिशन संपन्न हुआ और सभी ने घर का रास्ता पकड़ा स्नान-ध्यान के लिए.
बस रुकना पड़ा तो सफाई कर्मी को, क्योंकि उसे साहबों द्वारा फैलायी गयी गंदगी को फिर से साफ करना था. बेचारी विरोध भी तो नहीं कर सकती. एक तो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी, ऊपर से अनुबंध पर. चार माह से दरमाहा नहीं मिला है, वह अलग. उम्मीद है कि आप इसे अपवाद मान मिशन को संपन्न करेंगे.
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