अपराध रोधी हथियार बने सोशल मीडिया
नयी दिल्ली में इंडिया गेट के पास से दस दिन पूर्व अपहृत तीन वर्षीया बच्ची के सकुशल मिल जाने से जहां उसके परिजनों को सुकून हासिल हुआ है, वहीं इस प्रकरण में सोशल मीडिया की सकारात्मक भूमिका भी रेखांकित हुई है. फेसबुक, ट्विटर और व्हाट्स ऐप जैसे सोशल मीडिया नेटवर्क पर इस बच्ची की तस्वीरें […]
नयी दिल्ली में इंडिया गेट के पास से दस दिन पूर्व अपहृत तीन वर्षीया बच्ची के सकुशल मिल जाने से जहां उसके परिजनों को सुकून हासिल हुआ है, वहीं इस प्रकरण में सोशल मीडिया की सकारात्मक भूमिका भी रेखांकित हुई है. फेसबुक, ट्विटर और व्हाट्स ऐप जैसे सोशल मीडिया नेटवर्क पर इस बच्ची की तस्वीरें और विवरण बडे़ पैमाने पर साझा किये गये थे.
पुलिस का मानना है कि इसी कारण अपहरणकर्ता दबाव में आ गये थे और उन्हें बच्ची को छोड़ना पड़ा. दरअसल, ब्रॉडबैंड और मोबाइल फोन के जरिये इंटरनेट के व्यापक प्रसार ने आपदाओं, दुर्घटनाओं और अपराधिक घटनाओं की स्थिति में आम जन की भागीदारी बढ़ा दी है. मीडिया और सार्वजनिक बहसों में आम तौर पर सोशल मीडिया के नकारात्मक और नुकसानदेह उपयोगों की ही चर्चा होती है. लेकिन, इस मामले ने फिर इस बात के महत्व को स्थापित किया है कि सरकार और समाज द्वारा नयी संचार तकनीकों के उपयोग से अपराधों से निपटने में मदद मिल सकती है. हमारे देश में बच्चों के अपहरण की घटनाएं लगातार बढ़ी हैं.