सफाई अभियान में हाथ की सफाई
यूं तो अपने देश में आये दिन कोई न कोई अभियान चलता ही रहता है, लेकिन इन दिनों चलनेवाला सफाई अभियान सबसे खास है. इसकी महत्ता सिर्फ इसलिए नहीं है कि इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुरू किया है, बल्कि यह इसलिए अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि प्रधानमंत्री और उनकी टीम सफाई में हाथ की पूरी […]
यूं तो अपने देश में आये दिन कोई न कोई अभियान चलता ही रहता है, लेकिन इन दिनों चलनेवाला सफाई अभियान सबसे खास है. इसकी महत्ता सिर्फ इसलिए नहीं है कि इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुरू किया है, बल्कि यह इसलिए अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि प्रधानमंत्री और उनकी टीम सफाई में हाथ की पूरी सफाई दिखा रही है.
महात्मा गांधी के जन्मदिन पर प्रधानमंत्री ने दिल्ली की वाल्मीकि कॉलोनी में जाकर सड़कों की सफाई की. सड़कों की न कहें, तो ज्यादा उचित होगा. बल्कि यूं कहें कि प्रबंधकीय तरीके से सड़क पर गिराये गये हरे पत्ताें की सफाई की. लाल किले के सामने पर्यटन मंत्री ने तो सफाई कर्मचारियों से कचरा डलवा कर उसे साफ किया. ये तो बेचारे की बदकिस्मती थी कि एक अखबार के फोटो पत्रकार के कैमरे की चपेट में आ गये. सफाई के प्रोपेगेंडा का आरंभ सबसे पहले मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने झाड़ उठा कर किया.
उनके बाद उमा भारती मैदान में आयीं. फिर तो दिल्ली की रायसीना हिल्स और लुटियंस जोन की चकाचक सड़कों पर झाड़ू फेरनेवालों का तांता लग गया. पिछले कुछ दिनों से मामला थोड़ा ठंडा लग रहा है, क्योंकि प्रधानमंत्री महाराष्ट्र और हरियाणा के चुनावों में मशगूल हैं. समझदार दरबारी वही होता है, जो तब काम करे जब उस पर राजा की तवज्जो हो. इसलिए उम्मीद है कि दोनों राज्य के चुनाव निबटते ही मंत्री-अफसर फिर झाड़ू-झाड़ू खेलना शुरू करेंगे. इतिहास में जायें, दिल्ली की सड़कों पर झाड़ू लगाने का काम भाजपा ने 1998 में भी किया था. तब मदनलाल खुराना दिल्ली के मुख्यमंत्री थे और दिल्ली में प्लेग फैला हुआ था जो गुजरात से आया था. आज के केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री तब दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री हुआ करते थे.
उन्होंने तब भी झाड़ चलायी थी. लेकिन आज 16 साल बाद भी गंदगी बरकरार है और मोदी जी को इतिहास दुहराना पड़ रहा है. पिछले दिनों केजरीवाल ने भी झाड़ उठायी और झुग्गी बस्ती की बजबजाती नाली साफ की. लेकिन वे मोदी की तरह टीवी पर छा नहीं सके, क्योंकि उनका प्रबंधन कमजोर था. प्रबंधन तो वही अच्छा कर सकता है जिसके ‘ब्लड में बिजनेस’ हो. खैर, प्रधानमंत्री जी को साफ -सफाई बहुत पसंद है. जब वह गुजरात में थे, तो उन पर ‘एथनिक क्लीनजिंग’ का आरोप विदेशी और अंगरेजी मीडिया ने लगाया था. अब नंबर है पुराने कानूनों और फाइलों की सफाई का. जो भी निवेश और कारोबार में रोड़ा बनेगा, साफ हो जायेगा. इतिहास की सफाई भी शुरू हो चुकी है. दीनानाथ बत्र ने यह मोरचा संभाला है. जर्मनी के तानाशाह हिटलर भी बहुत सफाईपसंद आदमी थे. उन्होंने खुद फावड़ा संभाल कर सफाई अभियान चलाया था. हमारे पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत राजीव गांधी भी सफाईपसंद थे. उन्हें मिस्टर क्लीन की उपाधि मिली हुई थी. लेकिन, कोई भी सफाई को मोदी जी की तरह प्रचारित नहीं कर पाया. जो कहिए, बंदे में दम है.
विश्वत सेन
प्रभात खबर, रांची
vishwat.sen@gmail.com