घबराये नहीं, पर सतर्कता बरतें
पिछले साल इन्हीं दिनों आये चक्रवात ‘फैलिन’ ने पड़ोसी ओड़िशा और आंध्र प्रदेश में कहर बरपा किया था. इसमें करीब 50 लोगों की जान चली गयी थी. करोड़ों की संपत्ति का नुकसान हुआ था. झारखंड में भी फैलिन से जोरदार बारिश के साथ तेज हवाएं चली थीं. अब मौसम विज्ञानियों ने चक्रवातीय तूफान हुडहुड के […]
पिछले साल इन्हीं दिनों आये चक्रवात ‘फैलिन’ ने पड़ोसी ओड़िशा और आंध्र प्रदेश में कहर बरपा किया था. इसमें करीब 50 लोगों की जान चली गयी थी.
करोड़ों की संपत्ति का नुकसान हुआ था. झारखंड में भी फैलिन से जोरदार बारिश के साथ तेज हवाएं चली थीं. अब मौसम विज्ञानियों ने चक्रवातीय तूफान हुडहुड के आने की चेतावनी दी है. फैलिन की तरह हुडहुड भी ओड़िशा और आंध्र प्रदेश के समुद्री तट से सात सौ किलोमीटर दूर है.
रविवार यानी 12 अक्तूबर को हुडहुड के ओड़िशा पहुंचने का अनुमान है. 13 या 14 अक्तूबर को हुडहुड झारखंड पहुंच सकता है. अच्छी बात यह है कि तूफान की समुद्र में गति करीब 160 किलोमीटर प्रतिघंटा है, जबकि फैलिन की गति 220 किलोमीटर प्रतिघंटा से भी अधिक थी. तूफान की असली गति ओड़िशा तट पर पहुंचने के बाद ही पता चल सकेगी. तभी पता चल पायेगा कि इसका झारखंड पर क्या असर पड़ेगा. झारखंड सरकार ने तूफान से निबटने के लिए कई कदम उठाये हैं. स्थानीय प्रशासन भी चौकस है.
धनबाद, जमशेदपुर और रांची समेत कई जिलों में प्रशासन तैयारी में जुटा है. जमशेदपुर में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन (एनडीआरएफ) की टीम भी तैनात की जा रही है, जो किसी भी आपातस्थिति से निबटने में मदद को तैयार रहेगी. राज्य के सभी डैमों की सुरक्षा का निर्देश दिया जा चुका है. बिजली विभाग भी स्थिति संभालने में जुटा है. आम लोगों से अपेक्षा है कि वे भी तूफान आने पर अपने घरों में ही रहेंगे. सवाल है कि आखिर हर साल तूफान आ क्यों रहे? इनका मानवीय गतिविधियों से कोई संबंध है, यह ठीक-ठीक नहीं कहा जा सकता. पृथ्वी का इतिहास बताता है कि यहां महाशक्तिशाली चक्रवात आते रहते हैं. इनके आने का कारण समुद्र के ऊपर बना निम्न दबाव होता है, जो धीरे-धीरे विकराल रूप ले लेता है. इस बार के चक्रवातीय तूफान का नाम ओमान ने एक चिड़िया हुदहुद (हुडहुड) के नाम पर रखा है. इसका तात्पर्य है पक्षियों का सरदार. उम्मीद की जानी चाहिए कि ये प्यारी-सी चिड़िया (हुडहुड) किसी को कोई नुकसान पहुंचाये बिना आराम से गुजर जायेगी. लोगों को चाहिए कि वे टीवी और रेडियो सुनते रहें जिससे मौसम विभाग और प्रशासन से सही सूचना मिल सके.