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जिस्म तनहा है और जां तनहा

फिल्म से संबंधित शोध में गॉसिप स्नेत और संदर्भ के तौर पर गंभीरता से लिये जाते हैं. अपनी छवि, लोकप्रियता और लगातार काम के साथ छाये रहनेवाले अमिताभ बच्चन और रेखा के तीन दशक पहले के संबंधों से जुड़े गॉसिप भी लगातार सुने-कहे-पढ़े जाते रहे हैं. रेखा की कहानी परदे पर दमकते ‘अल्टीमेट दिवा’ के […]

फिल्म से संबंधित शोध में गॉसिप स्नेत और संदर्भ के तौर पर गंभीरता से लिये जाते हैं. अपनी छवि, लोकप्रियता और लगातार काम के साथ छाये रहनेवाले अमिताभ बच्चन और रेखा के तीन दशक पहले के संबंधों से जुड़े गॉसिप भी लगातार सुने-कहे-पढ़े जाते रहे हैं. रेखा की कहानी परदे पर दमकते ‘अल्टीमेट दिवा’ के चेहरे के पीछे छिपी व्यथा की मार्मिक दास्तान है.

उनके माता-पिता शादीशुदा नहीं थे, पिता ने बेटी को बेटी तब माना जब वह बड़ी हो गयी. बेटी अपनी ‘कल्पना’ में तो पिता से बात करती रही, लेकिन जब वे मरे तो अंतिम संस्कार में नहीं गयी. पिता की चिता सुदूर दक्षिण में जलती रही. बेटी की आंखें हिमाचल की वादियों में बरसती रहीं. पिता के प्रेम से महरूम वह फिल्मी दुनिया की चकाचौंध में भरोसे का कंधा खोजती रहीं. भरोसे टूटते रहे.

चांद तनहा है आसमां तनहा। दिल मिला है कहां-कहां तनहा।।

जिंदगी क्या इसी को कहते हैं।

जिस्म तनहा है और जां तनहा।।

मीना कुमारी ने तो जाते-जाते अपना दर्द कह दिया, रेखा अब कुछ नहीं कहतीं. पहले कह देती थीं. पिता के बारे में भी और प्रेम के बारे में भी. जिंदगी में परदे के पीछे चल रही ‘प्रेम कहानी’ सिलसिला बन कर परदे पर भी आ चुकी थी. यह अमिताभ-रेखा की आखिरी फिल्म थी. असल जीवन में भी प्रेम परेशानी में था. बालजाक ने लिखा है कि स्त्री अपने प्रेमी के चेहरे को उसी तरह जानती है जैसे नाविक समुद्र को जानता है. रेखा अपने प्रेमी के बदलते हाव-भाव को समझने लगी थीं. तब वह तीस की हो रही थीं. रेखा ने जीवन, प्रेमी, परिवार, हर चीज पर बेबाकी से बोल दिया था. तब रेखा दो नहीं, दर्जन भर बच्चों की मां होने की बात कर रही थीं. उन पर और उनकी मां पर जो बीती थी, उसको याद कर वो बिना शादी के बच्चे नहीं करने की बात कर रही थीं. अमिताभ से अपने प्रेम पर इतरा रही थीं और कह रही थीं कि ‘इसे मत छापियेगा’ क्योंकि अमिताभ इससे ‘इनकार’ करेंगे और उनका ‘कैम्प’ बयान देगा कि ‘शी इज नट्स लाइक परवीन बाबी’. तब उन्होंने जया बच्चन पर भी कुछ तल्ख टिप्पणी की थी.

बरसों बाद एक आयोजन में जब रेखा ने जया बच्चन को गले लगाया होगा, तो दोनों के मन में कितना कुछ टूटा और बना होगा! क्या समय सचमुच कुछ घाव भर देता है या उन पर भावनाओं की नया मरहम लगा जाता है! कुछ साल पहले एक जहाज में दोनों के साथ होने की बात अगर सही है, तो इन्होंने छूटे वक्त की दूरी को कैसे लांघा होगा! मशहूर पंजाबी गीतकार बारी निजामी के एक गीत में हमेशा के लिए कहीं दूर चले जानेवाले ऊंटों के सवार क्या फिर आते हैं! अगर वे लौट भी आते हैं, तो क्या मरुस्थल की विरहणी के पांवों की टीस और दिल के कचोट का इलाज हो जाता होगा! निजामी कहते हैं कि इश्क की राह में रास्ता भटकनेवालों को लंबी दूरी तय करनी होती है.

प्रकाश कुमार रे

प्रभात खबर, दिल्ली

pkray11@gmail.com

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