खुदरा बाजार के लिए घातक इ-कॉमर्स

हाल ही में, पूरे देश में इ-कॉमर्स क्षेत्र के उभरते हुए दो बड़े खिलाड़ियों के बीच जनता को अधिक से अधिक छूट देने की होड़ चली. स्नैपडील व फ्लिपकार्ट ने पिछले दिनों भारत में 10 घंटे से भी कम समय में 600 करोड़ रुपयों से अधिक का कारोबार करके सभी को अचंभित कर दिया. अभी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 14, 2014 3:16 AM
हाल ही में, पूरे देश में इ-कॉमर्स क्षेत्र के उभरते हुए दो बड़े खिलाड़ियों के बीच जनता को अधिक से अधिक छूट देने की होड़ चली. स्नैपडील व फ्लिपकार्ट ने पिछले दिनों भारत में 10 घंटे से भी कम समय में 600 करोड़ रुपयों से अधिक का कारोबार करके सभी को अचंभित कर दिया.
अभी भारत में ही दर्जनों ऐसी कंपनियां मौजूद हैं, जो बेहद सस्ते व बाजार से कम दामों पर इंटरनेट के जरिये सामान उपलब्ध कराती हैं. पिछले कुछेक वर्षो में भारत में भी ऑनलाइन शॉपिंग का क्रेज काफी हद तक बढ़ा है. ऑनलाइन बाजार से एक ओर जहां ग्राहक संतुष्ट व खुश नजर दिखायी पड़ रहें हैं, तो वहीं दूसरी और देश भर के खुदरा व्यापारियों को इंटरनेट के जरिये खरीदारी घातक मालूम पड़ रही है.
एक आंकड़े के अनुसार, वर्तमान समय में ऑफलाइन खुदरा व्यापार भारत के जीडीपी में 10 फीसदी के आसपास का हिस्सेदार है. वहीं पिछले कुछ वर्षो में तेज गति पकड़ने वाले इ-कॉमर्स क्षेत्र की हिस्सेदारी एक फीसदी से भी कम है.
ऐसे में इ-कॉमर्स के देश में तेजी से उभरने से पहले ही सवालिया निशान लगने की शुरुआत हो गयी है. साथ ही इ-कॉमर्स के कई नकारात्मक पहलू भी हैं. पहला है कि ऑफलाइन खुदरा बाजार भारत में सबसे अधिक नौकरियां देने वाला क्षेत्र है. बड़ी तादाद में लोग इस क्षेत्र से जुड़े हुए हैं, परंतु इ-कॉमर्स के आने से काफी हद तक इस क्षेत्र में नौकरियों में कटौती होने की संभावनाएं हैं.
मौजूदा समय में भारत की कुल जनसंख्या सवा सौ करोड़ में महज 25 करोड़ लोगों के पास ही इंटरनेट की सुविधा है. आनेवाले वक्त में इ-कॉमर्स को पूरे देश में अपना दबदबा बनाने के लिए कई स्तर पर सुधार तथा जरूरतों का सामना करना पड़ेगा, तभी ये अपनी पैठ बना सकता है.
मदन तिवारी, लखनऊ

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