सत्य प्रकाश चौधरी
प्रभात खबर, रांची
हुदहुद फुदक चुका है. धूप खिली हुई है और चौराहे पर चकल्लस है. पप्पू पनवाड़ी खराब मौसम के चलते दो दिन बिक्री में आयी कमी की भरपाई के लिए एकदम चौकस होकर दुकान पर बैठे हैं (मोदी जी! बिजनेस सिर्फ आपके या गुजरातियों के ही खून में नहीं है).
मुन्ना बजरंगी बेचैन बछड़े की तरह चौराहे पर कभी यहां तो कभी वहां फिर रहे हैं. रे-बैन का नया काला चश्मा लिये हैं, उसे बाजार में चमका रहे हैं. सत्यानाश हो इस मौसम का! दो दिन बेचारे कैसे इंतजार किये हैं, वही जानते हैं..
अब बदरी में काला चश्मा पहन कर निकलते तो अच्छा थोड़े न लगता! ‘नमो टी स्टॉल’ पर स्पेशल चाय पीने के बाद खैनी की तलब ने जोर मारा, पर मुन्ना को लगा कि रे-बैन के साथ यह डाउन स्टैंडर्ड लगेगा, इसलिए वह ‘आप की दुकान’ पर पहुंचे और पप्पू से मुखातिब हुए, ‘‘भाई चौड़ी पत्ती डाल कर ऐसा पान लगाइए कि तबीयत चौड़ी हो जाये.’’ बीते लोकसभा चुनाव के दौरान पप्पू को, मोदी-भक्त मुन्ना फूटी आंख नहीं देखना चाहते थे.
लेकिन केजरीवाल की बनारस में हार और फिर महाराष्ट्र-हरियाणा का चुनाव न लड़ने के उनके फैसले के बाद से मुन्ना ने पप्पू को थोड़ा-थोड़ा माफ कर दिया है. इस माफी की कीमत मुन्ना वसूलते हैं, पप्पू को केजरीवाल पर चुटकुले सुना कर. पान मुन्ना की उम्मीद पर खतरा और वह बदबूदार नाले के किनारे बनी दीवार पर चौड़े से जम गये. पान पगुराते हुए नाले में सूअरों को छपा-छई करते देखने लगे.
मुन्ना न तो बागीचे में सेब के पेड़ के नीचे बैठे थे और न ही बोधिवृक्ष के, फिर भी उन्हें ज्ञान प्राप्त हो गया. एक बार फिर अखबार में छपने के अवसर का ज्ञान. अचानक भक्त को अपने प्रभु दिखायी दिये, चेहरे पर नूर, हाथ में झाड़ू और चारों ओर कैमरे ही कैमरे. मुन्ना को शाखा में मिले ‘बौद्धिक’ की वह पंक्ति आयी- उठो,जागो और तब तक न रुको, जब तक लक्ष्य प्राप्त न कर लो.
मुन्ना ने पान थूक कर सड़क लाल और मुंह साफ किया. तीर की तरह अपने संगठन के दफ्तर पहुंचे. मोबाइल पर तड़ातड़ दस-बीस कॉल करके अपने युवा साथियों को जमा किया. मुन्ना इन्हीं युवा साथियों के साथ वेलेंटाइन डे पर प्रेमी-प्रेमिकाओं को उठक-बैठक कराते हुए बड़े हुए हैं. पूरी चाक-चौबंद योजना तैयार हुई. झाड़ू वार्ड के सफाई कर्मचारियों से ली जायेंगी (एक दिन मुहल्ले में झाड़ू नहीं लगी तो कयामत नहीं आ जायेगी), चूना रंगाई-पुताई की दुकान से चंदे में आ जायेगा (देगा ही बेचारा, उसको बाजार में धंधा करना है कि नहीं)..
ये सब काम साथी कर लेंगे. असली काम है मीडिया मैनेज करने का, जिसकी जिम्मेदारी सर्वसम्मति से मुन्ना को सौंपी गयी. शाम हुई और मुन्ना मोटरसाइकिल लेकर निकल पड़े अखबारों के दफ्तर में. संपादकों के चरण छुए, प्रेस रिलीज दी उनसे बहुत आगे जाने का आशीर्वाद प्राप्त किया. तय वक्त पर मुन्ना एंड पार्टी ने कैमरों की क्लिकन के साथ झाड़ू लगायी और गर्दा उड़ा दिया..