रक्षा प्रबंधन में सुधार बहुत जरूरी
पिछले वर्ष एक पनडुब्बी में हुए विस्फोट में कई सैनिकों की मौत के बाद त्यागपत्र देनेवाले पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल डीके जोशी ने एक साक्षात्कार में सेना से जुड़ी समस्याओं पर बेबाकी से अपनी बात कही है. पिछले कुछ वर्षो से समुचित रखरखाव की कमी और संसाधनों के अभाव से सेना में दुर्घटनाओं की संख्या […]
पिछले वर्ष एक पनडुब्बी में हुए विस्फोट में कई सैनिकों की मौत के बाद त्यागपत्र देनेवाले पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल डीके जोशी ने एक साक्षात्कार में सेना से जुड़ी समस्याओं पर बेबाकी से अपनी बात कही है.
पिछले कुछ वर्षो से समुचित रखरखाव की कमी और संसाधनों के अभाव से सेना में दुर्घटनाओं की संख्या बढ़ी है. उन्होंने पिछली सरकार के दौरान रक्षा प्रबंधन की खामियों, निष्क्रिय निर्णय प्रक्रिया और जवाबदेही के अभाव की आलोचना करते हुए कहा है कि देश के रक्षा प्रबंधन में बड़े पैमाने पर सुधार की आवश्यकता है. सेना के आधुनिकीकरण और उसकी क्षमता के परिवर्धन को लेकर लगातार चिंताएं जतायी गयी हैं और इस संबंध में अनेक विशेषज्ञ समितियों ने अपने विश्लेषण व सुझाव सरकार को दिये हैं.
लेकिन रक्षा मंत्रलय के गलियारों में पसरी लापरवाही ने इन सुझावों पर कोई ध्यान नहीं दिया. एडमिरल जोशी ने समस्या का रेखांकन करते हुए कहा कि रक्षा के संबंध में पेशेवर क्षमता और जवाबदेही सेनाओं की है, जबकि निर्णय लेने के सारे महत्वपूर्ण अधिकार मंत्रलय के पास हैं. उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि पनडुब्बियों के लिए बैटरी लेने और उनकी मरम्मत करने के निर्णय का अधिकार भी नौसेना को नहीं है. पूर्व नौसेना प्रमुख की यह बात राजनीतिक नेतृत्व और नौकरशाही पर गंभीर टिप्पणी है. विशेषज्ञों की राय में भारतीय सेना का आंतरिक स्वास्थ्य चिंता और परेशानी का कारण है.
हमारी सीमा में चीनी घुसपैठ व पाकिस्तान द्वारा गोलाबारी की लगातार हो रही घटनाओं तथा आतंकवादी चुनौतियों को देखते हुए सरकार को त्वरित प्रयास करने चाहिए. मोदी सरकार के पहले बजट में रक्षा खर्च में वृद्धि करते हुए आधुनिकीकरण व रखरखाव को प्राथमिकता देने की घोषणा की है. शुक्रवार को प्रधानमंत्री ने सेना के उच्चाधिकारियों के साथ बैठक कर चर्चा भी की है. कारगिल युद्ध की समीक्षा समिति के अध्यक्ष के सुब्रमण्यम ने रिपोर्ट में कहा था कि ‘राजनेता बिना जिम्मेवारी के सत्ता भोगते हैं, नौकरशाह बिना जवाबदेही के सत्ताधारी बने रहते हैं, और सेना बिना दिशा के जिम्मेवारी निभाती है.’ आशा है कि देश के रक्षा-तंत्र की इस चिंताजनक स्थिति में सुधार के लिए प्रधानमंत्री मोदी आवश्यक ठोस कदम उठायेंगे.