हमारे देश की ज्यादातर गरीब आबादी भुखमरी की शिकार है. शहरों की सड़कों और गांवों की गलियों में इस तरह के लोगों का पेट भरने के लिए पावभर अनाज मांगते हुए अक्सर देखा जा सकता है. इसके बावजूद हमारे देश में भूखों की संख्या घटी है. यह हम नहीं कह रहे, बल्कि हमारे देश की सरकार की ओर से जारी रिपोर्ट कह रही है.
दो दशक पहले हमारे देश में भुखमरी के शिकार लोगों की संख्या 21.08 करोड़ थी. वहीं, हमारे पड़ोसी देशों, बांग्लादेश, पाकिस्तान, म्यांमार और अन्य विकासशील देशों में भूख से पीड़ित लोगों की संख्या में बढ़ोतरी दर्ज की गयी है. यदि हम दुनिया के देशों की बात करें, तो अफ्रीका महादेश में भुखमरी के शिकार लोगों की संख्या सबसे अधिक है.
सबसे चिंता की बात यह भी है कि एक ओर जहां हमारे देश भारत सहित दक्षिण एशियाई देशों के लोग भुखमरी के शिकार हैं, वहीं चीन जैसे महाशक्तिशाली देशों में पका हुआ अरबों डॉलर का भोजन यूं ही बर्बाद हो जाता है. चीन की बात हम क्यों करें, अपने देश भारत में ही यदि हम गौर करें, तों प्रतिदिन करोड़ों रुपये के भोजन होटल, रेस्तरां और अमीर व मध्यम वर्ग के घरों में बर्बाद हो जाता है. हालांकि देश के कुछ सामाजिक संगठनों की ओर से बर्बाद होनेवाले पके हुए खाद्य पदार्थ को एकत्र कर जानवरों या फिर गरीबों के बीच वितरण करने की बात की जाती है, लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई ठोस और सतही कदम नहीं उठाया गया है.
यदि भारत के ही निवासी सबसे पहले अपने घरों, रेस्तराओं और होटलों में बर्बाद होनेवाले खाद्य पदार्थो को एकत्र कर गरीबों के बीच वितरित करने की मुहिम छेड़ दें, तो फिर कम से कम भारत से भुखमरी तो कम होगी ही.
पंकज मोदक, मधुबन, धनबाद