राज्य में अमन-चैन सबसे बड़ी चुनौती

मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने राज्य की विधि-व्यवस्था को लेकर गंभीरता दिखायी है. उन्होंने कहा है कि इस मामले में कोई ढिलाई सरकार बरदाश्त नहीं करेगी.मुख्यमंत्री को दीपावली, काली पूजा, छठ और मुहर्रम आदि पर शांति बनाये रखने की चिंता है. यह चिंता इसलिए भी है कि अभी पिछले दिनों रावण दहन के दौरान पटना […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 22, 2014 1:44 AM

मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने राज्य की विधि-व्यवस्था को लेकर गंभीरता दिखायी है. उन्होंने कहा है कि इस मामले में कोई ढिलाई सरकार बरदाश्त नहीं करेगी.मुख्यमंत्री को दीपावली, काली पूजा, छठ और मुहर्रम आदि पर शांति बनाये रखने की चिंता है. यह चिंता इसलिए भी है कि अभी पिछले दिनों रावण दहन के दौरान पटना के गांधी मैदान में जो हादसा हुआ था, वह प्रशासनिक व्यवस्था में लापरवाही का नतीजा था. 2012 में छठ के दौरान पटना के अदालत घाट पर मची भगदड़ ने भी प्रशासनिक सतर्कता पर सवाल उठाया था.

इस बार कोई हादसा न हो, इसे लेकर मुख्यमंत्री ने नासरीगंज से गायघाट तक गंगा तट से जुड़े छठ घटों का खुद स्टीमर से निरीक्षण किया. एक संवेदनशील सरकार के मुखिया को जो सतर्कता और सक्रियता बरतनी चाहिए, जीतन राम मांझी उसे पूरा कर रहे हैं, लेकिन यक्ष प्रश्न यह है कि थाना और प्रखंड से लेकर राज्य मुख्यालय तक छोटे-बड़े पदों पर बैठे पुलिस और प्रशासन के अधिकारी इस संवेदनशीलता से कितनी प्रेरणा ले पाते हैं.

वैसे विधि-व्यवस्था का सवाल अगले दस दिनों में होने वाले चार बड़े पर्वो तक सीमित नहीं है. विधि-व्यवस्था को समाज विरोधी तत्वों और सांप्रदायिक शक्तियों से ही नहीं, नक्सलियों और उग्रवादियों से भी खतरा है. ये कभी भी और कहीं भी गहरा जख्म पैदा कर सकते हैं. इन खतरों को भांपने और उन्हें निष्फल करने की ताकत के लिए यह जरूरी है कि विधि-व्यवस्था से जुड़े अधिकारी पिछली गलतियों से सीख लें. राज्य की कानून-व्यवस्था में हाल के दिनों में जिस तरह गिरावट आयी है, वह कम चिंता का विषय नहीं है.

अकेले पटना की बात करें, तो कोई दिन ऐसा नहीं बीत रहा है, जब कोई बड़ी आपराधिक घटना नहीं हो रही हो. राज्य के बाकी हिस्सों की भी यही स्थिति है. हत्या, लूट, मारपीट और महिला उत्पीड़न की घटनाएं बढ़ी हैं. यह नहीं भूलना चाहिए कि लंबे अंतराल के बाद बिहार की विधि-व्यवस्था पटरी पर लौटी थी. उसे बेपटरी होने से रोकने की जवाबदेही उन सभी की है कि, जिन पर भरोसा किया गया है. विधि-व्यवस्था को लेकर मुख्यमंत्री की संवेदनशीलता, सक्रियता, चिंता और चेतावनी का फलक बड़ा होना चाहिए और इसका प्रभाव भी व्यापक दिखना चाहिए.

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