सोशल मीडिया के तीर घाव करें गंभीर
उस दिन श्रीमती जी ने चाय का कप सामने रखते हुए पूछा- ‘‘आज इतनी जल्दी कैसे जग गये? कहीं जाना है क्या?’’ मैंने कहा- ‘‘जरा टीवी ऑन करो. महाराष्ट्र-हरियाणा का चुनाव परिणाम देखना है.’’ वह बोलीं- ‘‘पावर कट है.’’ इतना सुनते ही मुङो चाय कड़वी लगने लगी. हालांकि आधा कप पी चुका था. मैंने चाय […]
उस दिन श्रीमती जी ने चाय का कप सामने रखते हुए पूछा- ‘‘आज इतनी जल्दी कैसे जग गये? कहीं जाना है क्या?’’ मैंने कहा- ‘‘जरा टीवी ऑन करो. महाराष्ट्र-हरियाणा का चुनाव परिणाम देखना है.’’ वह बोलीं- ‘‘पावर कट है.’’ इतना सुनते ही मुङो चाय कड़वी लगने लगी. हालांकि आधा कप पी चुका था. मैंने चाय छोड़ दी और सोने चला गया.
काफी देर हो गयी, पर नींद नहीं आयी. श्रीमती जी ने मोबाइल पकड़ाते हुए कहा- ‘‘इतना अपसेट होने की जरू रत नहीं है. फेसबुक-व्हाट्सऐप आदि पर सारे अपडेट पड़े हैं.’’
मोबाइल ऑन करते ही व्हाट्सऐप पर पहला मैसेज दिखा- ‘‘हरियाणा-महाराष्ट्र के नतीजे आते ही राहुल गांधी विशाखापत्तनम में तूफान को महसूस करने की कोशिश कर रहे हैं, जीजा जी पूछ रहे हैं जमीन के रेट कितने गिरे और बहन कहीं खादी की साड़ी खरीदने के लिए मां के साथ निकल चुकी हैं.’’ और फिर दूसरा मैसेज- ‘‘राहुल गांधी महात्मा गांधी के सपने को पूरा कर रहे हैं. गांधी ने कहा था कि आजादी के बाद अब कांग्रेस को नहीं होना चाहिए इसकी भूमिका खत्म.’’ फिर तीसरा- ‘‘देश के स्वच्छता अभियान में सबसे ज्यादा योगदान राहुल बाबा का ही है, क्यों है कि नहीं..?’’ अब तक यह बात साफ हो चुकी थी कि निश्चित ही कांग्रेस का बेड़ा गर्क हो चुका है. पर यह जानना बाकी था कि असल रुझान क्या है. किसको कितनी सीटें मिली या मिल रही है. मैंने तुरंत फेसबुक का रुख किया. वहां भी एक से एक कमेंट-
‘‘बीजेपी की जीत के बाद सेंसेक्स आज 400 अंक उछल गया. अब इसकी धर्मनिरपेक्षता पर भी सवाल उठाये जा सकते हैं.’’
‘‘राज ठाकरे का उस वक्त हाथ उठ गया जब कोई रिपोर्टर उनसे ये पूछ बैठा कि सर आपके विधायकों की बैठक कब है? ’’
‘‘उजड़ा हुआ गुलशन और रोता हुआ माली… यानी कांग्रेस का अब क्या होगा?’’
‘‘सस्ते पटाखे चाहिए तो कृपया कांग्रेस कार्यालय में संपर्क करें. (मई माह की बिलकुल बंद पैकिंग मिलेगी.)’’
‘‘नौ साल पहले जब नारायण राणो ने शिवसेना छोड़ कर कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीते तो बाल ठाकरे बहुत दुखी हुए थे. शिवसेना के नेता अरविंद भोंसले ने कसम खायी थी कि जब तक नारायण राणो अपनी सीट से हार नहीं जाते, वे चप्पल नहीं पहनेंगे. और नौ साल तक वे खाली पैर ही घूमते रहे. चुनाव परिणाम के बाद उन्हें 400 चप्पलें उपहार में मिली हैं.’’
एक संदेश तो बिल्कुल दार्शनिक अंदाज में था- ‘‘वह इतना कमजोर न होता, तो आप इतने मजबूत न होते.’’
अब मैं खुद को तरोताजा महसूस कर रहा था. बरबस ही मुंह से निकला- थैंक्स सोशल मीडिया!
अखिलेश्वर पांडेय
प्रभात खबर, जमशेदपुर
apandey833@gmail.com