जमाना कंप्यूटर का है, अब ज्यादातर हिसाब-किताब खाता-बही पर नहीं होता, तो भी परंपरा-प्रिय देश के कारोबारी जगत में मान्यता है कि दीवाली से नया महालक्ष्मी वर्ष शुरू होता है.
इसलिए कारोबारी इस दिन अपना खाता-बही नया करते हैं. यह अंगरेजों के जमाने से प्रचलित, अप्रैल से शुरू होनेवाले वित्त-वर्ष का एक तरह से भारतीय प्रतिरूप है. नये साल के आगमन पर उम्मीदें जवां हो जाती हैं. इसलिए यह अनुमान लगाने की प्रथा भी है कि लाभ-हानि के हिसाब से नया साल कैसा होगा. हालांकि अनुमान का जो काम पहले ज्योतिषियों के जिम्मे था, अब अर्थशास्त्री करते हैं.
इस दीवाली पर आर्थिक जगत के विशेषज्ञ बाजार की नब्ज और सरकार के नीतिगत कदमों की आहट भांप कर कह रहे हैं कि नया महालक्ष्मी वर्ष अच्छा रहनेवाला है. मिसाल के लिए, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का अनुमान है कि भारत में आर्थिक वृद्धि दर बीते साल के मुकाबले करीब डेढ़ फीसदी ज्यादा यानी 6.4 फीसदी रहने की संभावना है. सरकार भी आर्थिक वृद्धि-दर को गति देने के लिए नीतिगत बदलाव के मोरचे पर सक्रिय हो गयी है. डीजल की कीमतों का निर्धारण बाजार के हवाले करना, गैस की कीमत को लागत के हिसाब से युक्तिसंगत बनाना और कोल-ब्लॉक के आवंटन में इ-नीलामी का विकल्प चुनना इस बदलाव को रेखांकित करते हैं.
विशेषज्ञ बता रहे हैं कि डीजल के विनियंत्रण का असर महंगाई कम करने के रूप में सामने आयेगा. गैस की कीमतों को युक्तिसंगत बनाने से इस क्षेत्र की कंपनियों का मुनाफा बढ़ेगा. कोल-ब्लॉक के आवंटन की सुचिंतित नीति खनन में कंपनियों का भरोसा बढ़ाएंगी. इससे जहां विनिर्माण क्षेत्र में गति आने की संभावना है, वहीं खनन का राजस्व सीधे राज्यों को मिलने की आशा बलवती हुई है. इस बीच एक सव्रे में कहा गया है कि इ-कॉमर्स, सेवा एवं खुदरा क्षेत्रों में चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में रोजगार के 4.5 लाख नये अवसर सृजित होंगे. कुल मिलाकर अर्थव्यवस्था की वृद्धि के लिए संकेत सकारात्मक हैं. इससे अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों की नजर में भारत की रेटिंग बढ़ी है. निवेश के योग्य माहौल बनने से शेयर बाजार भी खुश है. इस तरह दीवाली पर अर्थव्यवस्था का नया खाता संकेत दे रहा है कि नये महालक्ष्मी वर्ष में अच्छे दिन आनेवाले हैं!