पश्चिमी सभ्यता का बढ़ रहा है दुष्प्रभाव

हमारी संस्कृति दिन ब दिन पश्चिमी सभ्यता के जाल में इस कदर फंसती जा रही है कि लोग अपनी सभ्यता संस्कृति को ही भूलते जा रहे हैं. देश में वे क्लब सरस्वती पूजा का आयोजन करते हैं, जिनका इससे दूर-दूर तक वास्ता नहीं है. दुर्गा पूजा, लक्ष्मी पूजा और सरस्वती पूजा के नाम पर लाखों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 25, 2014 4:36 AM
हमारी संस्कृति दिन ब दिन पश्चिमी सभ्यता के जाल में इस कदर फंसती जा रही है कि लोग अपनी सभ्यता संस्कृति को ही भूलते जा रहे हैं. देश में वे क्लब सरस्वती पूजा का आयोजन करते हैं, जिनका इससे दूर-दूर तक वास्ता नहीं है.
दुर्गा पूजा, लक्ष्मी पूजा और सरस्वती पूजा के नाम पर लाखों रुपये का चंदा इकट्ठा किया जाता है. इसका आधा हिस्सा केवल पटाखों पर खर्च किया जाता है. बाकी बचे पैसों में कुछ पैसे ईल गानों को पेश करने के लिए डीजे और साउंड सिस्टम पर तो कुछ पैसे वास्तविक पूजा पर खर्च किये जाते हैं. बाकी बचा पैसा लोगों की जेबों में चला जाता है. भगवान के नाम पर नशाखोरी, ईल हरकतों और शौक-मौज को बढ़ावा दिया है. दुख तो तब होता है, जब संभ्रांत माता-पिता अपने बच्चों को ऐसा करने के लिए न सिर्फ उकसाते हैं, बल्कि खुद शामिल भी होते हैं.
राजीव रंजन झा, भरनो, गुमला

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