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सर्वशक्तिमान की लहराती पताका

निशिरंजन ठाकुरप्रभात खबर,भागलपुर हुआ ऐसा कि देवलोक में पूरा हंगामा हो गया. जिधर देखो घनचक्करी पॉलिटिक्स की बू आने लगी. सभी एक दूसरे को शक की नजर से देख रहे थे. समृद्धि तो थी लेकिन शांति तिरोहित. आपात बैठकों में भी नतीजा सिफर. असमंजस-अविश्वास का ऐसा माहौल पहले कभी नहीं देखा गया था. आला अधिकारी […]

निशिरंजन ठाकुर
प्रभात खबर,भागलपुर

हुआ ऐसा कि देवलोक में पूरा हंगामा हो गया. जिधर देखो घनचक्करी पॉलिटिक्स की बू आने लगी. सभी एक दूसरे को शक की नजर से देख रहे थे. समृद्धि तो थी लेकिन शांति तिरोहित. आपात बैठकों में भी नतीजा सिफर. असमंजस-अविश्वास का ऐसा माहौल पहले कभी नहीं देखा गया था. आला अधिकारी समस्या समाधान के प्रयास में लगे थे. दरअसल समस्या उठी यमलोक से. वहां के कुछ दूतों ने विरोध का बिगुल फूंका. पीड़ा यम देवता को बतायी. उनका कहना था कि बड़ा उचाट-सा, थका देनेवाला उबाऊ काम हमें सौंपा गया है. किसी मरनेवाले के पास जाओ.

उसके प्राण को ले आओ. वहां का माहौल निराशाजनक और कारुणिक होता है. कुल मिला कर यमदूतों का यह कहना था कि हम इस तरह के टाइप्ड और खराब माना जानेवाला काम करते हुए ऊब चुके हैं. हमें कुछ नया, इनोवेटिव तरीके से रचनात्मक काम मिलना चाहिए. यह नहीं चलेगा कि कहीं राज दरबार सजा रहेगा, दूध की नदियां बहेंगी, अप्सराएं नृत्य करेंगी, बसंत हाथ बांधे खड़ा रहेगा और हम दूसरों का प्राण निकाल कर लाते रहें. राज दरबार में बैठे लोगों को भी पता होना चाहिए कि हम क्या-क्या ङोलते हैं. हालांकि मैनेजमेंट के विरुद्ध जाना बड़ा गुनाह माना जाता है.

इसकी कुछ भी सजा हो सकती थी. बड़ी से बड़ी. लेकिन यमराज ने हिम्मत दिखाई. यमदूतों का साथ दिया. अपनी अगुवाई में यमदूतों के साथ जाकर विरोध व मांगपत्र आला अधिकारी को सौंपा. अधिकारी तेज तर्रार थे. कई महकमे के प्रभार में थे. उन्हें दिन-रात कई फाइलें सलटानी होती थीं. सुबह जो ऑफिस में बैठते तो देर रात तक अपनी कुरसी नहीं छोड़ते थे. सामने फाइलों में तरह-तरह की समस्याओं का समाधान होता था. खुद यमराज को आया देख खुद आला अधिकारी थोड़ा अचकचाये. पूरा मामला जाना. फिर तसल्ली से यमराज से पूछा-आप इस लफड़े में कैसे फंस गये.

मैनेजमेंट ने आपको वहां इसलिए रखा है कि इस तरह की समस्या पैदा नहीं हो. अगर इस तरह की समस्या पैदा होती है तो उसका आप समाधान करें. लेकिन आप खुद इनके साथ हो लिये. यमराज ने कहा-मांगें जायज हैं. इतने दिनों से ये लोग काम कर रहे हैं. अगर थोड़ा बदलाव चाहते हैं तो बुरा क्या है. अबकी बार अधिकारी थोड़ा गंभीर हुए. लहजा भी थोड़ा सख्त. बोले – मैनेजमेंट ने हर किसी को उसके हिस्से का काम दिया है.

काम की प्रकृति तय है. इसकी प्रकृति बदलने की प्रक्रिया जटिल है. और इस जटिल प्रकिया के बाद भी इस पर सर्वशक्तिमान की सहमति आवश्यक है. मैं फिर आपसे कहूंगा-आप इस पचड़े में नहीं पड़ें. यमराज का असमंजस थोड़ा बढ़ा लेकिन उन्होंने कहा- जब समस्या खड़ी हो गयी है तो एक बार चाहूंगा कि सर्वशक्तिमान इस पर ध्यान दें. शायद कोई ऐसा हल निकल आये, जो सर्वमान्य हो. सभी की संतुष्टि हो. आखिर वह सर्वशक्तिमान हैं. अखिल ब्रहांड की गतिविधि उन्हें देखनी होती है. और फिर उनके निर्णय का कौन इनकार करेगा भला. जारी..

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